गोरखपुर, NOI : आने वाले दिनों में गोरखपुर मंडल में केला उद्योग को खड़ा करने की तैयारी चल रही है। ताकि केले की खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ाई जा सके। इससे जुड़े व्यापारियों को अच्छा लाभ दिया जा सके। यहां अच्छे सुंदर केले दिल्ली व अन्य बाजारों में भेजा सके।

मंडल में साढ़े अट्ठारह हजार हेक्टेयर में होता है केले का उत्पादन

यह बातें केंद्र सरकार के एक सर्वे में उभरकर सामने आई हैं। भारत सरकार ने एक संस्था के माध्यम से गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज जिले का सर्वे कराया है। गोरखपुर मंडल में साढ़े 18 हजार हेक्टेयर भूमि पर केले की खेती हो रही है। उद्यान विभाग के मुताबिक संस्था का सर्वे इसलिए हो रहा है ताकि गोरखपुर मंडल में एक क्लस्टर स्थापित करके किसानों की आय बढ़ाई जाए। इसके लिए सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। अब संस्था की ओर से एक प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेजा जाएगा। ताकि गोरखपुर में केले के प्रमुख बेल्ट कैंपियरगंज, कुशीनगर में खड्डा व महराजगंज जिले के सिसवा में एक-एक पैक हाउस बनाकर केलों की पैंकिंग की जा सके। उसके बाद इन केलों को पकने के लिए रेफरल वैन में रायपेनिंग चेंबर में भेजा जाएगा। ताकि केला पकाकर उसे बाजार में उतारा जा सके।

अभी ऐसे होता है केले का व्‍यापार

अभी अधिकांश केला व्यापारी घारी के हिसाब से खरीद लेते हैं और फिर उसे कार्बाइड से पकाकर बाजारों में उतारा जाता है, लेकिन रायपेनिंग चेम्बर में केला कम समय में पक जाएगा और रेफरल वैन के जरिये यह आसानी से बाजारों में पहुंच जाएगा। रेफरल वैन के तापमान में केलों में लंबे समय तक ताजगी बनी रहेगी। इसमें उत्तम क्वालिटी के केलों को दिल्ली व अन्य बाजारों में भेजा जाएगा। आगे चलकर इन्हीं पैकहाउसों के पास में केले का आटा, नमकीन, चिप्स आदि तैयार कराने की योजना है।

जानिए कहां कितने क्षेत्रफल में होती है केले की खेती

गोरखपुर- 3.5 हजार हेक्टेयर

कुशीनगर- 11 हजार हेक्टेयर

महरागंज- 4 हजार हेक्टेयर

इतने केले का होता है उत्पादन- करीब 17 लाख टन

संस्था की तरफ से दो सर्वेयर गोरखपुर, कुशीनगर व महरागंज जिले में आये थे। उन्होंने जिला उद्यान अधिकािरयों के साथ मिलकर सर्वे किया है। अभी कैंपियरगंज, खड्डा व सिसवा में पैक हाउस के लिए संस्था प्रस्ताव तैयार करेगी। ताकि केले को बड़ा बाजार मिल सके। क्लस्टर बनाकर केले के इस क्षेत्र में काम किया जाए। आगे चलकर यहां केले के चिप्स, नमकीन, आटा आदि तैयार करने की योजना है। ऐसे में केले की खेती करने वाले व व्यापारियों को अच्छा लाभ होगा। - डा. डीके वर्मा, उप निदेशक उद्यान।

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