बस नाम का एम्स, दम तोड़ रही बेहतर इलाज की उम्मीद- नहीं मिली सुपर स्पेशियलिटी इलाज की सुविधा
गोरखपुर, NOI : अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) का नाम लेते ही बेहतर इलाज और सेवा की जो भरोसेमंद तस्वीर मस्तिष्क में उभरती है, गोरखपुर एम्स में वह कहीं नजर ही नहीं आती। यह ऐसा एम्स है, जहां सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर हैं न ही सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा की व्यवस्था है। बड़े आपरेशन तो नहीं ही होते, इमरजेंसी की सुविधा अब तक यहां शुरू नहीं हो सकी है। गंभीर मरीजों को इस अस्पताल में प्रवेश ही नहीं मिलता। विशेष चिकित्सा के लिए मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। जिस अस्पताल को दिसंबर, 2020 में शुरू हो जाना था, वह सितंबर, 2021 में भी शुरू नहीं हो पाया है।
दिसंबर 2020 में पूरा होना था, सिर्फ 70 फीसद हुआ काम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जुलाई, 2016 को एम्स का शिलान्यास और 24 फरवरी, 2019 को वाह्य रोग विभाग (ओपीडी) का उद्घाटन किया था। एम्स का निर्माण दिसंबर, 2020 तक पूरा हो जाना था, लेकिन निर्धारित तिथि के आठ महीने बाद भी 70 फीसद ही काम हो पाया है। सबसे अहम यहां का अस्पताल भवन, 14 आपरेशन थियेटर, ओपीडी की तीसरी-चौथी मंजिल, पीजी हास्टल, टाइप दो-तीन क्वार्टर, लांड्री, फायर स्टेशन, सीवरेज प्लांट आदि जैसे महत्वपूर्ण काम अभी भी बाकी हैैं। मरीजों को सीटी स्कैन, एमआरआइ, ब्लड, यूरिन, एक्सरे को छोड़कर अन्य सभी जांच, जिसमें अल्ट्रासाउंड भी शामिल है, बाहर करानी पड़ रही है।
नहीं खोज पाए सुपर स्पेशलिस्ट
एम्स ने ओपीडी तो शुरू कर दी, लेकिन सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर को नहीं खोज पाए। यहां अभी तक एक भी सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर को तैनात नहीं किया जा सका है। इस समय केवल डाक्टर आफ मेडिसिन (एमडी) और सीनियर रेजीडेंट (एसआर) ही मरीजों का इलाज करते हैं।
125 बेड का अस्पताल, आपरेशन एक और भर्ती होने वाले पांच से कम
दिखाने के लिए 125 बेड का अस्पताल तो खोल दिया गया है, लेकिन गंभीर मरीजों को आज भी लखनऊ या दिल्ली भागना पड़ता है। गोरखपुर में एम्स खोलने के पीछे शासन की मंशा यही थी कि यहां के गंभीर मरीजों का इलाज यहीं हो जाए, उन्हेंं दिल्ली, लखनऊ या मुंबई न जाना पड़े, लेकिन वह पूरी नहीं हो पा रही। मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैैं। अंदाजा इसी से लगा सकते हैैं कि 14 जून को शुरू हुए अस्पताल में 90 दिन में करीब 400 मरीज ही भर्ती किए गए। यानी रोज पांच मरीज भी भर्ती नहीं किए गए। इन 90 दिनों में करीब 100 आपरेशन हुए, यानी एक दिन में औसतन एक आपरेशन।
इन विभागों की चल रही ओपीडी
नाक, कान व गला रोग विभाग
मानसिक रोग विभाग
दंत रोग विभाग
बाल रोग विभाग
सीना रोग विभाग
सर्जरी
चर्म रोग विभाग
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग
शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग
नेत्र रोग विभाग
रेडियोथेरेपी (कैंसर रोग विभाग)
मेडिसिन
फेमिली मेडिसिन
हड्डी रोग विभाग
Leave A Comment
LIVE अपडेट
राज्य
Stay Connected
Get Newsletter
Subscribe to our newsletter to get latest news, popular news and exclusive updates.






0 Comments
No Comments