NOI , मेरठ। Lal Bahadur Shastri क्रांति धरा मेरठ महात्मा गांधी और उनके सिद्धांतों को आत्मसात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कर्मस्थली रही है। दोनों महान विभूतियों द्वारा पोषित संस्थान आज भी शहर में मौजूद हैं। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे का पुनरुद्धार के लिए भी आंदोलन चलाया था। मेरठ का गांधी आश्रम आजादी के संघर्ष के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। यहां से आंदोलन के क्रियाकलापों की दिशा तय होती थी। लाल बहादुर शास्त्री ने गांधी आश्रम का कई बार दौरा किया था। इस बात का उल्लेख आश्रम में लगे शिलापट्ट में भी है।

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कुमार आश्रम के क्रियाकलापों की डाली थी नींव

महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता के आंदोलन के बड़े नेता लाला लाजपत राय ने लोक सेवक मंडल की स्थापना की थी। महात्मा गांधी के अछूतोद्धार कार्यक्रम को साकार करने के लिए कैलाशपुरी में कुमार आश्रम की स्थापना की गई थी। लाल बहादुर शास्त्री का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान विषय पर शोध करने वालीं डा. सीमा गौतम ने बताया कि लोक सेवक मंडल के नियम शर्तों के अनुसर इसके सदस्यों को तीन साल तक संस्था के कार्यों में सक्रिय योगदान करना पड़ता था। इसके बाद उन्हें आजीवन सदस्य नियुक्त किया जाता था।

यह भी बताया

महात्मा गांधी के निर्देश पर लाल बहादुर शास्त्री ने 1926 में इसकी अस्थायी सदस्यता ग्रहण की थी। इस क्रम में उन्हें संस्था के कार्यों के लिए पहले मुजफ्फरनगर और फिर 1927 में मेरठ में नियुक्त किया गया था। उस समय कुमार आश्रम के मंत्री शहर के जाने माने क्रांतिकारी शिवदयालु जी हुआ करते थे। उनके पुत्र अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि पिता जी अक्सर लाल बहादुर शास्त्री जी से जुड़े संस्मरण सुनाया करते थे। प्रदेश सरकार ने कुमार आश्रम में लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर भवन भी बनवाया था।

पुत्रवधू विभा शास्त्री की पुस्तक धरती के लाल में है जिक्र

भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधू विभा शास्त्री ने अपनी पुस्तक धरती का लाल में कुमार आश्रम के प्रवास का विवरण दिया है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी यशपाल सिंह ने बताया कि इस पुस्तक के लिए तथ्य जुटाने को पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र सांसद हरिकिशन शास्त्री ने आश्रम का दौरा किया था। डा. सीमा गौतम ने बताया कि कुमार आश्रम का 1934 में वार्षिकोत्सव बड़े स्तर पर मनाया गया था। इसमें सरोजिनी नायडु सभापति थीं और डा. जाकिर हुसैन भी आए थे। इस आयोजन के संयोजक लाल बहादुर शास्त्री थे।

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