पाकिस्तान में असुरिक्षत परमाणु बम! तालिबान के चलते Pak की सेना और सरकार में बढ़ेगा चरमपंथ का दखल
नई दिल्ली, NOI: अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान हुकूमत ने दुनिया को एक नए संकट में डाल दिया है। अमेरिका के सैन्य प्रमुख की बातों पर भरोसा किया जाए तो उसके नतीजें बेहद खतरनाक हैं। अमेरिका आर्मी के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ जनरल मार्क मिले के अनुसार तालिबान की पहुंच पाकिस्तान और उसके परमाणु बमों तक हो सकती है। उन्होंने अपना यह बयान अमेरिकी सीनेट में एक समिति को दिया है। आखिर मार्क का यह बयान दुनिया के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। इसके क्या दूरगामी परिणाम होंगे। क्या तालिबान भविष्य में ब्लैकमेल की राजनीति कर सकता है। क्या पाकिस्तान में चरमपंथ का दखल सेना और सरकार पर बढ़ेगा। जाने एक्सपर्ट की बेबाक टिप्पणी।
शक्तिशाली तालिबान अब पाक के काबू में नहीं
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि मार्क ने जो कुछ भी कहा है, वह पूरी तरह से सत्य है। इसमें कोई संशय नहीं है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी इस बात की ओर इशारा करती है कि नया तालिबान संगठन कितना शक्तिशाली हो चुका है। वह अपनी धरती पर किसी से भी मोर्चा ले सकता है। उन्होंने कहा तालिबान एक संगठन है, न की सरकार। प्रो पंत ने कहा कि किसी संगठन का इतना ताकतवर होना पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के लिए शुभ नहीं है। नया तालिबान अगर अमेरिकी फौज को चुनौती दे रहा है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके पास अफगानिस्तान में कितनी ताकत है।
आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो चुका पाक
प्रो. पंत ने कहा कि तालिबान अब पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। उन्होंने कहा कि मार्क का यह कथन एकदम सही है। अब तालिबान इतना मजबूत हो चुका है कि वह पाकिस्तान के इशारे पर नहीं नाच सकता है। पंत ने कहा कि पाकिस्तान सरकार लाख दावा करे कि उसके देश में आतंकियों को शरण नहीं मिलती, लेकिन हकीकत इससे परे है। पाकिस्तान में चरमपंथी खुलेआम घुमते हैं। इसकी बड़ी वजह है। चरमपंथ का वहां की राजनीति और धर्म पर काफी दबदबा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की सेना और सरकार पर भी उनका दखल होता है। उन्होंने कहा कि तंग पाकिस्तान के लिए स्थिति और भी जटिल हो गई है। उन्होंने कहा कि समय रहते दुनिया को इस ओर ध्यान देना जरूरी होगा।
अफगानिस्तान में बेनकाब हुआ पाक
प्रो. पंत ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद अफगानिस्तान में जो खेल हुआ उससे पाकिस्तान बेनकाब हुआ है। वह अमेरिका से लगातार झूठ बोलता रहा है कि उसने अपने देश में किसी आतंकी संगठनों को शरण नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिकों के जाते ही आखिर पाक तालिबान की मदद में क्यों और कैसे कूद गया। सारे आतंकी संगठन अचानक सक्रिय हो गए। यह इस बात के प्रमाण हैं कि अमेरिका और अफगान युद्ध के दौरान पाक तालिबान को संरक्षण दे रहा था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एकमात्र अघोषित एजेंडा ही यही है। अब अमेरिका पाकिस्तान के इस खेल को अच्छी तरह से जान गया है।
पाकिस्तान के परमाणु हथियार असुरक्षित
प्रो. पंत ने कहा कि ऐसे में जनरल मार्क का यह बयान कतई चौंकाने वाला नहीं है कि तालिबान पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। इसमें भी कोई संशय नहीं कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार असुरक्षित हैं। दरअसल, अफगानिस्तान में सत्ता में दाखिल होने के बाद न केवल तालिबान का बल्कि चरमपंथियों के हौसले बढ़े हैं। इससे यह शंका प्रबल हो जाती है कि पाकिस्तान में अब चरमपंथ का दबदबा और बढ़ेगा। ऐसे हालात में मार्क का यह बयान भविष्य की एक तस्वीर पेश करती है। चरमपंथ का पोषण पाकिस्तान के लिए अब उलटा पड़ गया है।
आखिर क्या कहा जनरल मार्क ने
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया पर एक नया संकट मंडरा रहा है। अमेरिकी आर्मी के ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ जनरल मार्क मिले के मुताबिक अब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का असर पाकिस्तान और उसके परमाणु बमों पर पड़ सकता है। जनरल मार्क ने यह बयान सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने दिया। जनरल मिले ने कहा कि हमारा अनुमान था कि अगर अमेरिकी फौज की वापसी बहुत तेजी से होगी तो इससे क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा तेजी से बढ़ेगा। इससे पाकिस्तान और उसके एटमी हथियारों पर खतरा बढ़ जाएगा। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के चीफ जनरल फ्रेंक मैकेंजी ने कहा कि पाकिस्तान और तालिबान के गहरे संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन अब मुझे लगता है कि इन संबंधों में इसलिए बदलाव आएगा क्योंकि तालिबान अफगानिस्तान की हुकूमत पर काबिज हो चुका है। उनके संबंध बिगड़ेंगे, क्योंकि तालिबान अब अपनी शर्तों पर बातचीत करेगा और अपने हित देखेगा।
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