प्रयागराज, NOI : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की टीम एक बार फिर से प्रयागराज स्थित डीआरएम कार्यालय पहुंची। सीबीआइ की टीम ने कार्मिक और वित्त विभाग में पड़ताल की। इस दौरान टीम सदस्‍यों ने कुछ अधिकारियों और कर्मचारी से पूछताछ की। साथ ही पैसों की हेरोफेरी से जुड़े मामलों के दस्तावेज भी लिए। इससे आसार जताया जा रहा है कि सीबीआइ टीम एक या दो दिन और रुक सकती है। फिलहाल सीबीआइ के बार-बार आने से कई कर्मचारियों और अफसरों की गर्दन फंसती नजर आ रही है।

रेलकर्मी के खाते में एक रोड़ रुपये भेजने का मामला

कुछ महीने पहले एक रेलकर्मी के खाते में करीब एक करोड़ रुपये भेज दिया गया था। एक साथ इतनी बड़ी रकम कर्मचारी के खाते में भेजी गई तो बैंक के अधिकारियों को शक हुआ और उन्होंने रेलवे के उच्‍च अफसरों को बताया। तब उस धनराशि को रेलवे ने वापस ले लिया

रेलवे बोर्ड से शिकायत के बाद विजिलेंस जांच हुई थी

इसकी शिकायत रेलवे बोर्ड तक गई तो विजिलेंस ने जांच शुरू कर दिया। जांच शुरू हुई तो कई और मामले खुलने लगे। पता चला कि कई और ऐसे ही अनियमित भुगतान कर दिए गए हैं। पैसों की हेराफेरी का मामला होने पर इसे जांच के लिए सीबीआइ को रेफर किया गया। इस खेल में संलिप्त कुछ अधिकारियों को वहां से हटाया भी गया। उसके बाद जांच तेज हो गई।

सीबीआइ टीम की जांच का बढ़ा दायरा

पिछले दिनों सीबीआइ तीन दिनों तक यहां रहकर कई दस्तावेज ले गई। अब सीबीआइ की एक टीम डीआरएम कार्यालय पहुंची। इस टीम ने वित्त विभाग से हुए भुगतान के मामले चेक किए तो पता चला कि एक कर्मचारी का यात्रा भत्ता (टीए बिल) एक महीने का 86 हजार रुपये भेज दिया गया। जबकि नियमानुसार किसी कर्मचारी को इतना एक महीने का टीए बिल नहीं बन सकता है। नियमानुसार एक कर्मचारी को अधिकतम एक दिन में नौ सौ रुपये टीए बनता है। अगर वह महीने भर का टीए लेगा तो अधिकतम 27 हजार रुपये बनेगा। वैसे किसी कर्मचारी का अधिकतम टीए बिल 22 दिन का यानी 19800 रुपये ही हो सकता है। इसके बावजूद 86 हजार रुपये टीए बिल कैसे पास हो गया, इसका जवाब अब सीबीआइ की टीम एकाउंट के अफसरों से पूछ रही है।

कुछ अधिकारी भी जांच के दायरे में

इसके अलावा ऐसे ही कई और मामले सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि रेलवे में कई कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी एकाउंट डिपार्टमेंट में लगाए गए थे, उन लोगों ने ऐसे बिल पास कर दिए। चूंकि वह रिटायर कर्मी है और उन पर ज्यादा कुछ कार्रवाई भी नहीं हो सकती है। इसलिए इस मामले में अब कुछ अधिकारी भी फंस रहे हैं।

बोले, प्रयागराज मंडल के पीआरओ

प्रयागराज मंडल के पीआरओ अमित सिंह कहते हैं कि जांच के लिए सीबीआइ की टीम आई है। पिछले दिनों भी एक टीम आई थी। वह जो दस्तावेज मांगते हैं, उनको दिया जा रहा है।

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