नई दिल्ली,NOI: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सीरिंज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, तीन महीने के लिए सिर्फ तीन श्रेणियों की सीरिंज पर प्रतिबंध लागू किया गया है।

बयान में आगे कहा, 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय को ध्यान में रखते हुए, भारत के अंतिम नागरिक का टीकाकरण करने के लिए एक दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ, सरकार ने घरेलू उपलब्धता और आपूर्ति बढ़ाने के लिए उनके निर्यात पर रोक लगाई है। मंत्रालय ने कहा कि सभी पात्र नागरिकों को कम से कम समय में टीकाकरण करने के कार्यक्रम की गति को बनाए रखने के लिए सीरिंज महत्वपूर्ण हैं। बता दें कि देश में अब तक लगभग 94 करोड़ टीके दिए गए हैं और 100 करोड़ टीके का आंकडा जल्द हासिल होगा।

बताया गया कि वैक्सीन देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने केवल 0.5 मिली/1 मिली एडी (आटो-डिसेबल) सीरिंज, 0.5 मिली/1 मिली/2 मिली/3 मिली डिस्पोजेबल सीरिंज और 1 मिली/2 मिली/3 मिली आरयूपी (पुन: उपयोग की रोकथाम) सीरिंज के निर्यात पर तीन महीने के लिए बैन लगाया है।

बता दें कि वैक्सीन उत्पादन के मामले सहित जरूरी सिरिंज के उत्पादन में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और दुनिया हमें आशाभरी नजरों से देख रही है। टीकाकरण के लिए उपयुक्त सीरिंज का चुनाव बेहद जरूरी है। गलत सिरिंज के कारण जापान में फाइजर-बायोएनटेक की लाखों खुराक बर्बाद हो गई। यूरोपीय यूनियन को भी वैसी सीरिंज की तलाश है, जिससे फाइजर की वैक्सीन की पूरी खुराक का इस्तेमाल किया जा सके। इसके मद्देनजर भारतीय कंपनियां द्वारा 0.3 से 0.5 एमएल वाली विभिन्न प्रकार की सिरिंज का निर्माण किया गया। इनमें आटो डिसेबल से लेकर डिस्पोजेबल सीरिंज तक शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया की 60 फीसद आबादी को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए 800-1,000 करोड़ सीरिंज की जरूरत है। दुनिया की सबसे बड़ी सीरिंज निर्माता कंपनियों में शुमार हिंदुस्तान सीरिंज एंड मेडिकल डिवाइसेज (एचएमडी) व इस्कॉन सर्जिकल भारतीय हैं। ऐसे में भारत से दुनिया की उम्मीदें स्वभाविक हो जाती हैं। कोरोना काल से पहले भारत 200 करोड़ सीरिंज का निर्यात करता था।

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