नई दिल्‍ली,NOI: साल 2020 में पाक्सो एक्‍ट (POCSO Act) के तहत दर्ज 99 फीसद से अधिक अपराध के मामलों में पीड़ित लड़कियां थीं। राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (NCRB) के ये आंकड़े बताते हैं कि लड़कियां अब भी समाज का सबसे संवेदनशील हिस्‍सा बनी हुई हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि पाक्सो के तहत दर्ज 28,327 मामलों में से 28,058 में पीड़ित लड़कियां थीं।

गैर सरकारी संगठन 'चाइल्ड राइट्स एंड यू' की ओर से किए गए एनसीआरबी के पाक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के विश्लेषण में पाया गया कि 16 से 18 आयु वर्ग की किशोरियों पर सबसे ज्‍यादा 14,092 यौन अपराध हुए। इसके बाद 12 से 16 आयु वर्ग की लड़कियों के खिलाफ 10,949 यौन अपराधों को अंजाम दिया गया।

एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार सभी आयु वर्ग में लड़कों की तुलना में लड़कियां ज्‍यादा यौन अपराधों का शिकार हुईं। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर गैर सरकारी संगठन 'चाइल्ड राइट्स एंड यू' (Child Rights and You, CRY) 'क्राय' ने कहा कि भले ही दुनियाभर में लड़कियों के अधिकारों की बात की जा रही है लेकिन एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं आज भी लड़कियां समाज का सबसे संवेदनशील हिस्सा बनी हुई हैं।

साल 2020 में देशभर में दुष्‍कर्म के हर रोज औसतन करीब 77 केस दर्ज किए गए। देश में दुष्‍कर्म के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 केस दर्ज किए गए जो 2019 में 4,05,326 और 2018 में 3,78,236 थे। साल 2020 में कुल दुष्‍कर्म पीड़िताओं में 25,498 वयस्क जबकि 2,655 नाबालिग शामिल थीं।

समाचार एजेंसी पीटीआइ ने एनसीआरबी के हवाले से बताया है कि दुष्‍कर्म के सबसे ज्यादा 5,310 मामले राजस्थान में जबकि 2,769 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। इसके बाद मध्य प्रदेश में 2,339 मामले, महाराष्ट्र में 2,061 मामले और असम में 1,657 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में दुष्‍कर्म के 997 मामले दर्ज किए गए।

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