गोरखपुर में नहीं होगी पेयजल की किल्लत, पानी खत्म होते ही स्वत: स्टार्ट हो जाएंगे 187 नलकूप
पानी की बर्बादी भी रुकेगी
पानी की बर्बादी रोकने और कम हो रही कर्मचारियों की संख्या से निपटने के लिए जलकल विभाग काफी समय से सभी नलकूपों को आटोमेटिक व्यवस्था से चलाने पर मंथन कर रहा था। पहले से आटोमेटिक व्यवस्था के तहत संचालित बड़े नलकूपों के अ'छे परिणाम के आधार पर अफसरों ने सभी नलकूपों को नई तकनीक से चलाने का निर्णय लिया। मिनी नलकूपों को भी इस व्यवस्था में शामिल किया गया है।
एक साल तक ट्रायल
जलकल के सहायक अभियंता सौरभ वर्मा ने बताया कि टेंडर की शर्तों के अनुसार मिनी और बड़े नलकूप के संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली फर्म को एक साल के ट्रायल पर रखा जाएगा। कंपनी का कार्य संतोषजनक होने के बाद भी उसे नलकूपों के पूरी तरह संचालन की अनुमति दी जाएगी।
ऐसे खर्च होंगे रुपये
नलकूप संख्या रुपये
मिनी नलकूप 100 23.53 लाख
बड़े नलकूप 87 48.50 लाख
फैक्ट फाइल
शहर में पानी की मांग - 152 एमएलडी
कुल नलकूपों की संख्या - 245
बड़े नलकूपों की संख्या - 145
मिनी नलकूपों की संख्या - 100
प्रति व्यक्ति पेयजल की आपूर्ति - 129 लीटर
स्टैंड पेस्ट की संख्या - 485
माडर्न स्टैंड पोस्ट की संख्या - 51
पाइप लाइनों की कुल लंबाई - 1180
हैंडपंपों की संख्या - 4174
वार्ड की संख्या - 70
पेयजल आपूर्ति का समय - सुबह पांच से दस बजे, दोपहर 12 से दो और शाम पांच से रात दस बजे तक
पेयजल टैंकरों की संख्या - 27
शहर के सभी नलकूप आटोमेटिक व्यवस्था से जुडऩे जा रहे हैं। जलकल परिसर में बने कमांड सेंटर को और ज्यादा अपग्रेड किया जाएगा। पानी की बर्बादी रोकने के साथ ही नागरिकों को समय से पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने में यह व्यवस्था और मददगार होगी। - अविनाश सिंह, नगर आयुक्त।
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