लखनऊ, NOI :  सदियों से प्यासे बुंदेलखंड के कंठ की तृष्णा उम्मीद है कि अगले महीने शांत हो सकेगी। महिलाओं को पानी के लिए अब मीलों नहीं चलना पड़ेगा। पठारी इलाका होने के कारण यहां का जलस्तर बहुत ही नीचे चला गया है। गर्मी के दिनों में हालात बहुत ही भयावह हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड व विंध्य के गांवों में घर-घर पेयजल की आपूर्ति शुरू करने जा रही है। तैयारियां अंतिम दौर में हैं। विभिन्न क्षेत्रों में ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है। जल जीवन मिशन योजना के तहत बुंदेलखंड और विंध्य के दूरदराज तक के ग्रामीण इलाकों में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है।

सरकार ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों की नियमित निगरानी करने के साथ ही पेयजल के लिए बिछाई गई पाइप लाइनों की गुणवत्ता की जांच करने के भी निर्देश दिए हैं। पाइप लाइनों में रिसाव रोकने की कवायद भी की जा रही है। शुद्ध पेयजल मिलने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बीमारियों से निजात मिलेगी। बुंदेलखंड व विंध्य में पूरी होने जा रही इस परियोजना में करीब 30 हजार से अधिक लोगों को संविदा पर नौकरी पर रखा गया है।

दरअसल बुंदेलखंड और उससे सटे विंध्य के इलाके में जब भी जल संकट के समाधान के प्रयास किए गए, कुछ समय तक तो सब ठीक चला, लेकिन जल्दी ही सारे प्रयास ढाक के तीन पात की तरह नजर आने लगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से पाठा क्षेत्र में शुरू कराई गई एशिया की सबसे वृहद जलकल परियोजना पाठा जलकल भी बुरी तरह फ्लाप साबित हुई। जब यह योजना धरातल पर उतरी तो बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन आज गांवों में इस योजना के तहत बिछाए गए पाइपों का संजाल सफेद हाथी की तरह जगह-जगह बिछा खड़ा हुआ है।

चित्रकूट में तीन पेयजल योजनाएं शुरू करने की तैयारी है, जिसमें करीब 500 गांवों की सात लाख आबादी की प्यास बुझाने की तैयारी है। चित्रकूटधाम जिले में पेयजल योजना का काम काफी तेजी से चल रहा है। हर घर तक पाइप से पेयजल पहुंचाने के लिए ऐसी ठोस व्यवस्था की जा रही है, जो स्थायी राहत देने वाली होगी। चित्रकूट, बांदा, झांसी और महोबा समेत बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है। दिसंबर तक योजनाओं का लाभ लाखों की आबादी को मिलने लगेगा। जल जीवन मिशन के तहत 32 परियोजनाओं में कुल 467 पाइप के जरिये संचालित पेयजल योजनाओं का काम तेजी से चल रहा है। इनमें से 43 सतही जल आधारित योजनाएं और 424 भूजल पर आधारित हैं। इन योजनाओं से 3823 राजस्व गांवों की कुल 72,68,705 आबादी के लिए 11,95,265 नल कनेक्शन की व्यवस्था की जा रही है यानी कुल मिलाकर इतने घरों में शुद्ध पानी की आपूर्ति होगी। इन परियोजनाओं से क्षेत्र के सात जिलों की 40 तहसील, 68 विकासखंड और 2608 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलेगा।

मेलों का महत्व : मेला आज भी गंवई-गांव के लिए ऐसा अनुष्ठान है जिसकी हर कोई पूरे बरस बाट जोहता है। कुंभ ऐसा ही आयोजन है जिसकी धूम पूरी दुनिया में है। पूरे प्रदेश में कोस-दो-कोस पर जगह-जगह मेले लगते हैं जो ज्यादातर धार्मिक होते हैं, किंतु कुछ पशु, व्यापार तथा कृषि मेले के साथ ही शहीदों को नमन के लिए भी मेले यहां लगते हैं। कुंभ मेला, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है।

दीपावली पर चित्रकूट में आयोजित होने वाला ऐतिहासिक गधा मेला कई मायने में अनूठा है। मेले में हजारों की संख्या में लोग गधे लेकर पहुंचे तो खरीदने वाले लोग भी बड़ी संख्या में आए। तीन दिवसीय यह मेला दीपावली के अवसर पर मंदाकिनी के किनारे लगता है। इस मेला की शुरुआत औरंगजेब ने की थी। तब से हर वर्ष यहां दूर-दूर से गधों के व्यापारी आते हैं। इस साल लगभग 10 हजार गधे मेले में खरीदे और बेचे गए। मेला में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान से गधा मालिक गधों को लेकर बेचने और खरीदने आते हैं। इधर आगरा के करीब 400 साल पुराना श्री बटेश्वर मेला पूरी रंगत में है। इस बार बटेश्वर पशु मेला की शान हंसिनी और रानी घोड़ी है। दोनों की कीमत एक करोड़ रुपये है, जबकि इन पर 80 लाख की बोली लग चुकी है। ये घोड़ियां जालंधर (पंजाब) के अमृत सिंह लेकर आए हैं।

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