कानपुर, NOI :  Kanpur Metro Specialties उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक (एमडी) कुमार केशव का कहना है कि कानपुर की मेट्रो (Kanpur Metro) का काम लखनऊ से भी तेज हुआ है, वो भी तब जब इसके बीच में कोरोना का संक्रमण हावी रहा। 15 नवंबर 2019 को इसके निर्माण कार्य शुरू हुए और अब दो वर्ष में ट्रायल रन शुरू होने जा रहा है। कानपुर की मेट्रो में बहुत से प्रयोग देश में पहली बार किए गए। इसमें सबसे पहले डबल टी गार्डर का प्रयोग किया गया, जिससे स्टेशनों का पहला फ्लोर बहुत ही तेजी से बनाया गया और जीटी रोड जैसी व्यस्त सड़क पर ट्रैफिक भी नहीं रुका। डिपो में ही गार्डर को ढालकर रात में ही पिलर पर लगाया गया।

गुजरात से लाए गए हैं मेट्रो के कोच: विगत 18 सितंबर को पहली मेट्रो के तीन कोच गुजरात के सवाली प्लांट से रवाना किए गए थे। इसके बाद 10-12 दिन के बाद ही ये कोच कानपुर में पालीटेक्निक डिपो पर पहुंचा दिए गए थे। मेट्रो कोच की गुजरात से रवानगी के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में मौजूद थे जहां से उन्होंने वर्चुअली तौर पर हरी झंडी दिखाई थी।

ट्रेन में खास तरीके से होगा सैनिटाइजेशन : यूपीएमआरसी के अधिकारियों ने मेट्रो की ट्रेन को सैनिटाइज करने एक खास तकनीक विकसित की है। अधिकारी बताते है कि इससे मात्र 30 मिनट में पूरी ट्रेन को सैनिटाइज किया जा सकता है। सोडियम हाइपोक्लोराइड की अपेक्षा यूवी लैंप से ट्रेन व टोकन को सैनिटाइज करने पर इसकी लागत काफी कम आएगी। सैनिटाइजेशन की यह पूरी प्रक्रिया रिमोट कंट्रोल से संचालित होगी और इसमें केवल ढाई फीसद के करीब खर्च आएगा। 

ट्रेन में दिखेगी कानपुर की ऐतिहासिक विरासत: चूंकि जेके मंदिर कानपुर की पहचान है, इसलिए यहां की मेट्रो ट्रेन में जेके मंदिर की खूबसूरत तस्वीरें नजर आएंगी। इसके अलावा शहर के धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों को भी शामिल किया गया है। इसमें बिठूर आैर इसके साथ ही गंगा के प्रमुख घाट भी शामिल किए गए हैं। 

  • जहां एक ओर कानपुर मेट्रो की ट्रेनों में एक बार में 974 यात्री सफर कर सकेंगे, तो वहीं ट्रेनों की रफ्तार 80-90 किमी प्रति घंटा तक होगी।
  • कानपुर मेट्रो की ट्रेनें अत्याधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी के मानकों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई हैं। 
  •  किसी भी घटना से बचने के लिए प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे। इनकी फुटेज ट्रेन आपरेटर और डिपो में बने सेंट्रल सिक्योरिटी रूम में पहुंचेगी। 
  •  हर ट्रेन में 56 यूएसबी चार्जिंग प्वाइंट और 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे।
  •  मेट्रो ट्रेनों में टाक बैक बटन की सुविधा भी दी गई है, ताकि आपातकालीन स्थिति में ट्रेन आपरेटर से यात्रीण बात कर सकें। 
  •  आटोमेटिक ट्रेन आपरेशन के तहत ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी।
  •  वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ट्रेनों में मार्डन प्रापल्सन सिस्टम होगा 
  •  सभी ट्रेनों को रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया गया है, ताकि ब्रेक लगाए जाने से उत्सर्जित 45 फीसद ऊर्जा को रीजनरेट कर उसी सिस्टम में पुन: इस्तेमाल किया जा सके। 
  •  ट्रेनों में कार्बन-डाई-आक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम भी दिया गया है, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा।
  •  मेट्रो का बुनियादी ढांचा बेहतर और सुंदर दिखाई दे इसके लिए मेट्रो ट्रेनें तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, ताकि इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता न पड़े। 
  • देश में पहली बार डबल टी-गार्डर का इस्तेमाल कानपुर में हुआ। इससे सभी नौ स्टेशन के कानकोर्स बनाए गए। इससे सात माह 17 दिन में सभी स्टेशन के कानकोर्स बनकर तैयार हो गए।
  •  देश में पहली बार ट्विन पियर कैप का इस्तेमाल किया गया, इसके ऊपर आटोमेटिक वा¨शग प्लांट बनाया गया।
  •  देश में पहली बार थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ एक खास इनवर्टर लगाया गया है जो ब्रेक से बननी वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में भेजकर इस्तेमाल करने लायक बनाएगा।
  •  कानपुर मेट्रो के प्राथमिक सेक्शन को पर्यावरण प्रबंधन के लिए आइएसओ 14001 व संरक्षा प्रबंधन के लिए आइएसओ 45001 प्रमाणपत्र मिल चुके हैं।
  •  05 वर्ष है इस पूरे प्रोजेक्ट का तय समय।

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