नई दिल्ली, NOI : जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में अहम जानकारी दी गई है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि 12 से 18 आयु वर्ग के लिए परीक्षण पूरा होने के करीब है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कोवैक्सीन के परीक्षणों को पूरा होने दें, यदि संपूर्ण परीक्षणों के बिना बच्चों को टीके लगाए जाते हैं तो यह खतरनाक होगा। बता दें कि यह वैक्सीन 12-18 साल की आयुवर्ग को लगनी है।

कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने पिछले दिनों कहा था कि जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल करीब-करीब पूरा हो चुका है। जुलाई के अंत तक या अगस्त में 12 से 18 साल के बच्चों को इसे लगाए जाने की शुरुआत हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाले समय में हमारा लक्ष्य रोजाना एक करोड़ वैक्सीन डोज लगाने का है।

डॉ एनके अरोड़ा ने यह भी कहा था कि आइसीएमआर के एक अध्ययन के मुताबिक, तीसरी लहर देर से आने की संभावना है। ऐसे में हमारे पास देश में हर किसी का टीकाकरण करने के लिए अभी समय है। ऐसे में आने वाले दिनों में हमारा लक्ष्य हर दिन 1 करोड़ खुराक देने का है।

 इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में टीका उपलब्ध कराने की स्थिति को लेकर एक हलफनामे में कहा था कि डीएनए टीका विकसित कर रहे जायडस कैडिला ने 12 से 18 साल के आयुसमूह पर क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है और इसे वैधानिक मंजूरी मिलने के बाद यह टीका निकट भविष्य में 12 से 18 साल के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकता है।

गौरतलब है कि 12 से 18 साल के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि कोविड वैक्सीन का इस आयुवर्ग पर ट्रायल नरसंहार के जैसा है और इसे तुरंत रोकना चाहिए। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक को कोवैक्सिन के बच्चों पर ट्रायल की मंजूरी दी है।

याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने कहा कि यह एप्लीकेशन हाईकोर्ट के सामने है। इसमें केंद्र और भारत बायोटेक को नोटिस भी भेजा जा चुका है। इसके बावजूद जून से ही बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल शुरू किए जा चुके हैं।

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