गोरखपुर, NOI :  सिद्धार्थनगर में सरकार ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार का अवसर देने के लिए मनरेगा योजना के क्रियान्वयन पर जोर दे रही है, लेकिन प्रधान व जिम्मेदारों की लापरवाही से इसमें भी भ्रष्टाचार का घुन लग गया है। डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र में प्रधान की मनमानी से मनरेगा योजना लक्ष्‍य से भटकती नजर आ रही है। प्रधान और अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी धन का बंदरबाट हो रहा है। 

ताजडीह में गायब मिले आठ मजदूर

ताजा मामला ग्राम पंचायत सेमुआडीह का है। यहां मनरेगा के तहत चकरोड की पटाई कार्य में तो कुल 58 मजदूरों के हस्ताक्षर रजिस्टर पर होने की बात पर्यवेक्षक के रूप में तैनात समूह की महिलाओं ने दी, लेकिन मौके पर आठ से दस मजदूर भी कार्य करते नहीं मिले।

काम करने की बजाय बैठे मिले मजदूर

उक्त ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना से 200 मीटर चककोड के पटाई का कार्य 40 हजार रुपये की लागत से हो रहा है। पर्यवेक्षण और हाजिरी लगाने का कार्य आजीविका समूह की पूनम साहनी और पुष्पा देवी करती मिलीं। पूछने पर बताया कि आज कुल 58 मजदूरों को काम पर रखा गया है। उनके हस्ताक्षर रजिस्टर पर बनवाए गए हैं, लेकिन मौके पर आठ की संख्या में ही मजदूर मिले जो काम न करके बैठे हुए थे।

हो रही सरकारी धन की बंदरबाट

पहले भी गांव में 500 मीटर चकरोड की पटाई का कार्य हुआ था जिसमें काम तो कम मजदूरों ने किया, लेकिन हाजिरी अधिक लोगों की लगाकर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया गया। गांव के प्रधान गुरु प्रसाद साहनी ने बताया कि मजदूर अभी इधर- उधर हैं, थोड़ी देर में आते होंगे, लेकिन शाम तीन बजे तक मजदूरों की संख्या में न तो कोई इजाफा हुआ और न ही काम शुरू होता दिखा। प्रभारी बीडीओ धनंजय सिंह ने कहा कि जांच कराएंगे, अगर ऐसा है तो तो प्रधान पर कार्रवाई होगी, भुगतान रोक दिया जाएगा।

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