गोरखपुर,NOI :दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सत्र 2019-20 के प्री-पीएचडी शोधार्थियों का दोपहर एक बजे से चल रहा धरना-प्रदर्शन जिला प्रशासन की दखलअंदाजी के बाद साढ़े दस घंटे बाद रात्रि 10.40 बजे समाप्त हो गई। जिला प्रशासन के अधिकारियों सिटी मजिस्ट्रेट व एडीएम सिटी की मौजूदगी में शीतकालीन अवकाश 25 दिसंबर से पूर्व वर्ष 2018 के आर्डिनेंस के तहत शोधार्थियों की परीक्षा कराने व फेल छात्रों की तिथि एक माह के भीतर घोषित करने के आश्वासन के बाद छात्रों ने अपना आंदोलन वापस लिया।

एक माह के अंदर फेल छात्रों के लिए घोषित करनी होगी पुर्नपरीक्षा की तिथि

मंगलवार को दोपहर एक बजे प्री-पीएचडी के शोधार्थी परिसर का मुख्य द्वार बंद कर धरने पर बैठ गए। दोपहर तीन बजे से हिंदी विभाग के बगल में स्थित गेट भी बंद कर दिया गया। इससे कई शिक्षक व कर्मचारी विश्वविद्यालय की गाड़ी समेत परिसर में ही फंस गए हैं। इस दौरान लगभग तीन घंटे तक डीएसडब्ल्यू प्रो.अजय सिंह और प्रभारी नियंता प्रो.शिवाकांत सिंह शोधार्थियों को समझाते रहे, लेकिन वे नहीं माने। शाम करीब सात बजे शिक्षक व कर्मचारी दीक्षा भवन के पास स्थित वीआइपी गेट से निकलने की कोशिश कर रहे थे। जैसे ही शोधार्थियों को इसकी जानकारी हुई कि वहां लगा ताला तोड़वाया जा रहा था। शोधार्थी वहां भी पहुंच गए और वहां भी धरना-प्रदर्शन करने लगे।

विवि प्रशासन द्वारा 48 घंटे के अंदर प्री-प्रीएचडी की परीक्षा की तिथि घोषित करने के आश्वासन के बाद बनी बात

रात लगभग 9.30 बजे सिटी मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव व एडीएम सिटी विनीत कुमार सिंह पहुंचे और शोधार्थियों को समझाने की कोशिश करने लगे। शोधार्थी इस बात पर अड़े रहे कि छह महीने का उनका पाठ्यक्रम ढाई साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है, इसमें उनकी क्या गलती है। शोधार्थियों की पूरी बात सुनने के बाद प्रशासन ने डीडीयू के अधिकारियों से वार्ता की। शोधार्थियों, विवि के अधिकारियों कुलसचिव विश्वेवर प्रसाद, परीक्षा नियंत्रक डा.अमरेंद्र कुमार सिंह व डीएसडब्लू प्रो.अजय सिंह और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच करीब सवा घंटे तक वार्ता चली। छात्रों की तीन मांगों पर परीक्षा की तिथि घोषित करने, 2018 आर्डिनेंस के तहत परीक्षा कराने तथा फेल छात्रों के लिए एक माह के भीतर पुर्नपरीक्षा की तिथि घोषित 48 घंटे के अंदर करने आश्वासन पर धरना समाप्त हुआ।

एडीएम सिटी ने जाते-जाते विवि के अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा डाला कि जिन मांगों पर निर्णय हुआ है उसे जल्द से जल्द अमल में लाएं। अन्यथा की स्थिति में इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा। प्रदर्शन में छात्र नेता नीतेश मिश्र, छात्र नेता गौरव वर्मा, शोधार्थी कमलकांत राव, आनंद मिश्र, मंदीप राय, पूंजिमा, राम भरोसे तिवारी, गूंजन उपाध्याय, अश्विनी, अंजली, दीप्ति राय, सोनी, कृतिका सिंह, रागिनी, किरन, अमित चौहान, वीरेंद्र शर्मा, राजन दूबे, प्रशांत मौर्य, अनुराग अवस्थी, शिव व समेत करीब सौ शोधार्थी मौजूद थे।

यह है पूरा मामला

विश्वविद्यालय में प्री-पीएचडी का कोर्स वर्क नियमत: छह माह में पूरा हो जाता है। इसके बाद परीक्षा होती है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर पीएचडी में पंजीकरण होता है। सत्र 2019-20 के लगभग नौ सौ शोधार्थियों ने कोर्स वर्क करीब पूरा कर लिया था। परीक्षा के समय ही कोरोना महामारी आ गई। जिसके कारण उनकी परीक्षा नहीं हो सकी। करीब ढाई साल बीत जाने के बाद भी उनकी छह महीने की प्री-पीएचडी पूरी नहीं हो पाई है।

परिसर में ही गाड़ी छोड़ कोई रिक्शा तो कोई पैदल गया घर

छात्रों के प्रदर्शन के कारण लगगभग पांच घंटे तक परिसर में ही फंसे रहे शिक्षकों व कर्मचारियों को अंतत: अपने-अपने वाहन वहीं छोड़कर रात 8 बजे के बाद कोई रिक्शा से तो कई पैदल अपने घर पहुंचे। हिंदी विभाग के सामने स्थित पैदल निकलने वाले गेट से ही शिक्षक और कर्मचारी निकल पाए।

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