चंडीगढ़, NOI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के साथ ही पंजाब का राजनीतिक माहौल बदलने लगा है। तमाम अंतरकलह के बावजूद मजबूत दिखाई दे रही कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीर उभर आई है। वहीं, एक बार फिर   शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की अटकलबाजी शुरू हो गई है। हालांकि शिअद के प्रधान सुखबीर बादल ने इन संभावनाओं को सिरे से खारिज किया है। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व वाले दिन प्रधानमंत्री ने जैसे ही कृषि बिलों को वापस लेने की घोषणा की, उससे किसानों में जहां उत्साह का संचार हुआ। वहीं, राजनीतिक दल अपने-अपने नफे-नुकसान का आंकलन करने में जुट गई।

शिअद और भाजपा का पुनः हुआ गठबंधन तो होगा जट वोटबैंक का ध्रुवीकरण

भाजपा और शिअद का गठबंधन केवल कृषि कानून को लेकर टूटा था। जब तक गठबंधन था तब तक दोनों पार्टियां एक दूसरे के दबाव में दिखाई देती थी। किसान आंदोलन के दबाव में गठबंधन टूटने के बाद दोनों ही पार्टियों के लिए पंजाब में अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा था। शिअद और भाजपा भले ही अपने-अपने दम पर सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ना का दावा करती रही हो लेकिन दोनों ही पर्टियों को आटे-दाल का भाव पता चल गया।

अकाली दल को हिंदू वोटबैंक को अपने साथ मिलनाने के लिए अपनी छवि को बदलना पड़ रहा था तो भाजपा को गांव में जाना मुहाल था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का भी मानना है कि कृषि बिल वापस होने के बाद अगर दोनों पार्टियां एक साथ आ जाए तो 18 फीसदी जट्ट वोट बैंक का ध्रुवीकरण हो जाएगा। क्योंकि,  कांग्रेस द्वारा एससी को मुख्यमंत्री बनाने से जट्ट समुदाय को लग रहा है कि पावर उनके हाथों से खिसक गई है। ऐसे में वह शिअद और भाजपा के पक्ष में एकजुट हो सकते है। वहीं, सामने में मजबूत विपक्ष न होने के कारण कांग्रेस के मंत्रियों व विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंपेेंसी जो दबी हुई थी, वह भी उभर कर सामने आ जाएगी। भाजपा के मजबूत होने के साथ हिंदू वोट बैंक भी भाजपा के खाते में जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है।

किसान विरोधी तीर हुआ कुंद

कृषि कानून वापसी की घोषणा के साथ ही किसान विरोधी तीर कुंद हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों भाजपा और अकाली दल पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाकर घेरती रही है। भले ही दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया हो लेकिन किसानों के निशाने पर इन्हीं दोनों पार्टियों के नेता आते रहे है। यहां तक भी भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के काफिले पर भी हमला हो चुका है। तीन कृषि कानून को वापस लेकर प्रधानमंत्री ने विरोधी पार्टियों के तरकश के एक मजबूत तीर को कुंद कर दिया है।

0 Comments

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Get Newsletter

Advertisement