Madhya Pradesh: इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर तात्या मामा रेलवे स्टेशन किया जाएगा: शिवराज सिंह चौहान
इसलिए नाम पड़ा था हबीबगंज
हबीबगंज स्टेशन ब्रिटिश काल में बना था। वर्ष 1979 में जब इस स्टेशन का विस्तार हुआ तो नवाब खानदान के हबीबउल्ला ने अपनी जमीन दान में दी थी। उनके नाम पर ही स्टेशन का नाम हबीबगंज रखा गया था। हबीबउल्ला भोपाल के नवाब हमीदउल्ला के भतीजे थे।
आक्रमणकारियों का मुकाबला किया था रानी कमलापति ने
इतिहासकार डा. आलोक गुप्ता के अनुसार 18वीं सदी में चौतीसा गिन्नौरगढ़ रियासत के गोंड राजा निजाम शाह थे। भोपाल क्षेत्र इसी का हिस्सा था और इसका नाम भोजपाल था। भोजपाल के नजदीक सीहोर के सलकनपुर के राजा कृपालसिंह सरोतिया की बेटी थीं कमलापति। उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी का शौक था। वह राजा कृपालसिंह की सेना की सेनापति भी रहीं। सलकनपुर राज्य के अंतर्गत आने वाले बाड़ी किले के जमींदार का लड़का था चैनसिंह। चैनसिंह राजकुमारी कमलापति से विवाह की इच्छा रखता था। राजकुमारी कमलापति ने उससे विवाह करने से मना कर दिया था। बाद में रानी कमलापति का विवाह गोंड राजा निजाम शाह से हुआ। कुछ वर्ष बाद चैनसिंह ने धोखे से निजाम शाह की हत्या कर दी थी। इसके बाद रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ भोजपाल आ गई और यहीं से राजकाज संभालने लगीं। चैनसिंह से बदला लेने के लिए रानी ने अफगान लुटेरे दोस्त मोहम्मद खान की मदद ली। बाद में खान की नीयत बदल गई। वह रानी कमलापति के राज्य पर ही हमले करने लगा। रानी ने उससे कड़ा मुकाबला किया। उनकी सेना का अंतिम युद्ध भी दोस्त मोहम्मद खान के लोगों से ही हुआ। रानी का 16 वर्षीय बेटा नवल शाह इसमें शहीद हो गया। इसके बाद रानी ने भोजपाल के छोटे तालाब में जल-समाधि ले ली थी।
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