प्रयागराज, NOI :  फाफामऊ कांड के मामले में भले ही पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन उनके विरुद्ध ठोस साक्ष्य नहीं मिल सके हैं। पुलिस की इस नाकामी से आरोप पत्र कमजोर हो सकता है और इसका लाभ आरोपितों को मिल सकता है। यही कारण है कि पुलिस अधिकारी सभी के विरुद्ध वैज्ञानिक व दूसरे साक्ष्य संकलित करने पर जोर दे रहे हैं। जेल भेजे गए अभियुक्तों ने जो कहानी पुलिस के सामने बयां की है, उसके बीच से कई कड़ी भी गायब है। ऐसे में उनकी भूमिका को लेकर पुलिस पूरी तरह से मुतमईन नहीं है। शायद इसके चलते क्राइम ब्रांच और एसओजी की जांच की दिशा एक बार फिर बिहार गैंग की ओर घूम गई है। पिछली कई ऐसी घटनाएं बिहार के ही एक खूंखार गिरोह ने अंजाम दी थी।

अब भी हो रही संदिग्ध लोगों को उठाकर पूछताछ

पुलिस अधिकारियों का दावा है कि घटना में कुछ और लोग शामिल हो सकते हैं। वह कौन-कौन हैं और उनकी क्या भूमिका है, इसकी तफ्तीश हो रही है, लेकिन सवालों की गुत्थी सुलझ नहीं रही है। यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस गांव से ही सुराग जुटाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए बुधवार को भी कई संदिग्ध युवकों को उठाकर पूछताछ की गई। गोहरी और लेहरा गांव में दिनभर में करीब 14 युवकों को पकड़कर थाने ले जाया गया और फिर घंटों पूछताछ होती रही है। इसके अलावा संदिग्ध मोबाइल नंबर के आधार पर भी कई को पूछताछ के लिए उठाया गया है। हालांकि पुलिस सूत्र यह भी कह रहे हैं कि पुलिस अधिकारियों के सामने एक समस्या यह है कि वो नहीं चाहते हैं कि इस घटना में उनके द्वारा दोबारा गिरफ्तारी भी गलत साबित हो सके। पुलिस ने हत्याकांड में पहले भट्ठा कर्मचारी पवन सरोज को कातिल बताकर गिरफ्तार किया था लेकिन फिर पता चला था कि वह तो बेकसूर है।

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