NOI: चंडीगढ़। कहते हैं दूसरों के काम आना ही सबसे बड़ा परोपकार है और अगर किसी तरह से दूसरों को जीवनदान देने का अवसर मिले तो इससे बड़ा कोई दान नहीं हो सकता। अंगदान को महादान कहा गया है। आज लाखों लोग ऐसे हैं जो अंग प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त अंग मिलने का इंतजार कर रहे हैं। यह लाइन लगातार लंबी हो रही है। अंगों को खोने के बाद जिंदगी और मौत के बीच फंसकर संघर्ष कर रहे हैं।

शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि एक व्यक्ति छह से अधिक लोगों को अलग-अलग अंग देकर नई जिंदगी दे सकता है। सभी के पास दिल, फेफड़े, लीवर, किडनी, पैनक्रियाज और आंखें दान कर कई जिंदगी बचाने की शक्ति है। प्रतिवर्ष हजारों लोग आर्गन नहीं मिलने से जिंदगी की जंग हार रहे हैं। हर मिनट जिंदगी की डोर टूट रही है। फेफड़े, लीवर, किडनी और आंखें अलग-अलग मरीजों को एक-एक प्रत्यारोपित की जाती हैं। पीजीआइ अभी तक सैकड़ों लोगों को अंग प्रत्योरोपित कर चुका है। अंगदान को लेकर जगरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग आगे आकर कीमती जिंदगियों को बचाने के लिए इस नेक काम में सहयोग करें।

देखिए 45 वर्षीय व्यक्ति कैसे दे गया छह को जिंदगी

चार दिसंबर को दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में 45 वर्षीय व्यक्ति सिर में चोट लगने से गंभीर अवस्था में पीजीआइ दाखिल हुए थे। यहां इस व्यक्ति को पीजीआइ ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। पीजीआइ की टीम ने ट्रांसप्लांटेशन संबंधी प्राेटोकॉल को पूरा किया। काउंसलिंग के बाद ब्रेन डेड व्यक्ति के परिवार ने साहसिक निर्णय लेते हुए अंगदान के लिए सहमति दे दी। पीजीआइ या चंडीगढ़ में किसी प्राप्तकर्ता का मिलान नहीं हुआ तो चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में मैचिंग रिसिपिनिंट मिला। इसके अलावा लीवर और किडनी को पीजीआइ में ही बीमारी से अंग खराब हो चुके मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। कोर्निया से दो कोर्नियल ब्लाइंड पेशेंट को रोशनी दी गई। इसलिए ब्रेन डेड व्यक्ति ने छह लोगों को नई जिंदगी दी।

चंडीगढ़ से चेन्नई पहुंचा दिल, अब फिर से धड़कने लगा

पहली बार ब्रेन डेड पेशेंट के दिल को पीजीआइ चंडीगढ़ से करीब 2500 किलोमीटर की दूरी तय कर चेन्नई ट्रांसप्लांटेशन के लिए भेजा गया। डोनेटेड हार्ट को महज 22 मिनट में ग्रीन कॉरीडोर बनाकर पीजीआइ से मोहाली स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट भेजा गया। जिसके बाद चेन्नई में सफल हार्ट ट्रांसप्लांटेशन किया गया। बुधवार दोपहर 3.25 बजे शेड्यूल्ड विस्तारा एयरलाइन फ्लाइट से इसे चेन्नई भेजा गया। 8.30 बजे चेन्नई पहुंचने के बाद एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल चेन्नई ने इस दिल को लेकर 52 वर्षीय व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया।

डायरेक्टर पीजीआइ प्रो. सुरजीत सिंह ने कहा कि मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी हो जाता है। लेकिन अगर ब्रेन डेड मरीज के अंगों को समय पर प्रत्यारोपित कर दिया जाए तो यह कई को नई जिंदगी देता है। ब्रेन डेड होने की स्थिति में पीजीआइ की टीम प्रयास करती है पेशेंट के स्वजनों को अंगदान के लिए राजी करें। बहुत से लोग इस जनसेवा के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन कुछ लोग अभी भी राजी नहीं होते। ऐसे लोगों से सीखने की जरूरत है उनका एक प्रयास कई लोगों को नई जिंदगी देने में सहायक रहा है।

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