नई दिल्ली NOI:  दिल्ली के एक सुल्तान ने चोरों को सजा देने के लिए एक अलग तरीका निकाला था, वह चाहता था कि सजा ऐसी हो कि कोई और जुर्म करने के बारे में भी न सोचे।करीब 700 साल पहले यह मीनार लोगों को डराने के लिए जानी जाती थी।यह इमारत हौज खास एंक्लेव में है स्थित है और इसका नाम चोर मीनार है।यह मीनार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के महत्वपूर्ण स्मारकों की सूची में शामिल है। एएसआइ ने इसके संरक्षण की योजना बनाई है। जल्द ही इसका संरक्षण कार्य शुरू किया जाएगा। जिसके तहत मीनार में आ चुकीें दरारें व खराब हो चुके पत्थरों और उखड़ चुके प्लास्टर को भरा जाएगा।
बता दें कि चोर मीनार, अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) के शासनकाल में बनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त चोरी करने वालों को सजा देने के लिए इस मीनार का उपयाग किया जाता था। दोषी का सिर काटकर मीनार में मौजूद सुराखों पर रख दिया जाता था या लटका दिया जाता था। यह लोगों को डराने के लिए किया जाता था, ताकि वे अपराध से दूर रहें। इस मीनार में 200 से ज्यादा सुराख हैं। सजा देने का यह तरीका अलाउद्दीन के तानाशाही रवैये के बारे में बताता है।खिलजी की क्रूरता, सख्ती और गुनहगारों को कड़ी सजा देने के किस्से सुनकर भले ही कोई डर जाए, लेकिन उस वक्त लोगों को डराने वाली इमारत चोर मीनार आज बिल्कुल नहीं डराती है।
इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलों की हत्या करवाई थीं। उन लोगों के सिर भी काटकर इस इमारत के सुराखों पर रखे गए थे, ताकि लोग देख सकें। मंगोल आक्रमणकारियों से अलाउद्दीन खिलजी को काफी जूझना पड़ा था। कई बार उनके हमले को अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने विफल किया। खिलजी का शासन 20 साल तक चला था। अगर किसी साम्राज्य पर वह हमला करता तो जीत के बाद काफी उत्पात मचाता था। इतिहासकार उसे क्रूर शासक मानते हैं। उसकी क्रूरता की कई कहानियां हैं। अलाउद्दीन को अगर किसी पर शक होता कि वह उसकी सत्ता या शक्ति के लिए खतरा है तो उसे मरवा देता था। उस परिवार की महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा जाता था। उसने अपने परिवार के कई सदस्यों को भी मरवा दिया था, जिनमें उसके भतीजे भी शामिल थे। अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या करके ही अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना था।अलाउद्दीन को लंबी-चौड़ी फौज रखनी पड़ती थी।

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