उपहार अग्निकांड : सुबूतों से छेड़छाड़ मामले में निचली अदालत के फैसले को अंसल बंधुओं ने दी चुनौती
सुशील अंसल व गोपाल अंसल ने तीन दिसंबर के पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल के फैसले को चुनौती दी है। अदालत ने अंसल बंधुओं को चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट द्वारा सुनाई गई सात-सात साल के कारावास की सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही जमानत पर रिहा करने से भी इन्कार कर दिया था।
अदालत ने कहा था कि दोषियों के अपराध मामला बहुत ही गंभीर प्रकृति का है। इस मामले में सजा निलंबित करना स्थापित आपराधिक कानून सिद्धांतों के खिलाफ है। अंसल बंधुओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी दलील दी कि निचली अदालत के आदेश में न सिर्फ कानूनी खामियां हैं, बल्कि यह अवैध भी है।
आठ नवंबर को अंसल बंधुओं को सुनाई गई थी सजा
चीफ मेट्रोपानिटल मजिस्ट्रेट डा. पंकज शर्मा ने आठ नवंबर को अंसल बंधुओं को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर सवा दो-सवा दो करोड़ करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अंसल बंधुओं के अलावाअदालत के कर्मचारी रहे दोषी दिनेश चंद शर्मा व दो अन्य दोषी पीपी बत्रा एवं अनूप सिंह को भी सात साल की सजा और सभी पर तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। मामले में दो आरोपितों हर स्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्रा की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
सुबूतों से छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई 2002 को पहली बार तब सामने आया था जब दिनेश चंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। दिनेश को पहले निलंबित किया गया और फिर 25 जून 2004 को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि बर्खास्तगी के बाद अंसल बंधुओं ने शर्मा को 15 हजार रुपये मासिक वेतन पर रोजगार दिलाने में भी मदद की थी।
अग्निकांड प्रकरण में भी ठहराए गए थे दोषी
उपहार सिनेमाघर में बार्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में भी सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, लेकिन उनके उम्र व जेल में बिताए गए समय को ध्यान में रखते 30-30 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना देने की शर्त रिहा कर दिया था।
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