अंधेरेे में रोशनी का विकास ढूंढ़ रहीं अलीगढ़ की सड़कें
एलईडी लगाकर बचाया खर्चा
नगर निगम ने बिजली का खर्च बचाने के लिए साेडियम व हाइमास्ट लाइट के स्थान पर एलईडी लगवाई थीं। इन्हें लगाने से लेकर रखरखाव का ठेका प्रदेश सरकार ने ईईएसएल कंपनी काे दे दिया। ईईएसएल ने इयोन कंपनी को शामिल कर काम बांट लिया। एलईडी लगने से पूर्व निगम करीब 50 लाख रुपये बिजली बिल का भुगतान करता था।
हरिद्वार से आपूर्ति
इयोन कंपनी अपनी लाइट बनाती है। हरिद्वार में कंपनी की फैक्ट्री है। यहीं से शहर में एलईडी की आपूर्ति होती है। भुगतान न होने से आपूर्ति रोक दी गई। लाकडाउन के बाद कम वाट की एलईडी की आपूर्ति हुई थी, लेकिन सड़कों पर लगाई जाने वाली 120 वाट की एलईडी नहीं भेजी गई। शहर के विभिन्न इलाकों से एलईडी खराब होने की शिकायतें आती हैं। जो सही हो सकती हैं, उन्हें तो कंपनी के कर्मचारी ठीक कर आते हैं। बाकी को यह आश्वासन देकर छोड़ आते हैं कि आपूर्ति होने पर एलईडी बदल दी जाएंगी।
निगम से करार
- 2015 में 24 फरवरी को ईईएसएल का नगर निगम से पहला अनुबंध
- 14197 एलईडी कंपनी ने शुरुआती दौर में लगाईं
- 2018 में 27 दिसंबर को निगम से हुआ दूसरा अनुबंध
- 19705 एलईडी शहर के बाकी हिस्सों में लगाई गईं
- 33902 एलईडी लगाने का कंपनी कर रही दावा
- 25000 एलईडी शहर में लगाने का कंपनी को दिया ठेका
- 16000 एलईडी इस साल लगाने का किया जा रहा दावा
भुगतान पर हुई थी रार
- 8.50 करोड़ रुपये का भुगतान न होने से पूर्व में बिड़गी थी व्यवस्था
- 6.10 करोड़ रुपये निगम की संस्तुति पर कंपनी को मिलने थे शासन से
- 2.40 करोड़ रुपये का भुगतान निगम को करना था कंपनी को
- 30 फीसद बिजली बचत का भुगतान कंपनी को करता है निगम
- 70 फीसद बिजली बचत का हिस्सा शासन से कंपनी को मिलता है
- 50 लाख रुपये करार से पूर्व विद्युत बिल के देता रहा है निगम
- 6.25 करोड़ का पुराना भुगतान 2019 में कर चुका है निगम
शिकायतें भी खूब
- 35-40 शिकायतें प्रतिदिन स्ट्रीट लाइट की कंट्रोल रूम पर आतीं हैं
- 15 शिकायतों का भी नहीं हो पा रहा निस्तारण
- 35 फीसद एलईडी खराब हैं शहर की सड़कों पर
हाईवे पर कई बार निकले टेंडर
अलीगढ़-आगरा हाईवे पर सासनीगेट चौराहे से रूसा हास्पिटल तक नगर निगम की सीमा है। इसी हिस्से में एलईडी लगाने के लिए 2017 में 1.20 करोड़ का टेंडर हुआ था। बाद में ये टेंडर रद कर 48 लाख रुपये का नया टेंडर निकाला गया, जिसमें सिर्फ पोल लगने थे। एलईडी टेंडर से हटा दी गईं। इस पर भी बात नहीं बनी। पोल लगाने में भी ढाई साल बीत गए। फिर डिवाइडर पर पोल लगाए गए, लेकिन एलईडी न लग सकी। दो पोल उखड़ चुके हैं। पिछले साल 200 आर्नामेंटल एलईडी, 100 डिजाइनर आर्म व पोल पर पेंट कार्य कराने के लिए 65 लाख 46 हजार 400 रुपये का टेंडर भी निकाला कर एलईडी लगाने के लिए एक माह का समय दिया गया। ये टेंडर भी निरस्त हो गया। अब 35 लाख रुपये का नया टेंडर निकाला है, जिसमें सिर्फ एलईडी लगनी हैं। इस पर भी कुछ नहीं हो सका है।
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