200 से ज्यादा आवेदन, फिर भी बंद हो गया आगरा में 63 साल पुराना विदेशी भाषा विभाग!
आगरा, NOI : डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ (केएमआइ) में संचालित 63 साल पुराना विदेशी भाषा विभाग बंद हो गया है। इस साल यहां संचालित पाठ्यक्रमों के लिए विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित नहीं किया गया है। सर्वाधिक छात्र संख्या वाले इस विभाग के बंद होने से पूर्व छात्र भी काफी परेशान और हैरान हैं।
1958 में केएमआइ में विदेशी भाषा विभाग की शुरुआत की गई। इस विभाग में रशियन, फ्रेंच और जर्मन भाषा के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए सर्वाधिक आवेदन प्राप्त होते हैं। इस साल भी 200 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हो चुके थे, पर प्रवेश नहीं लिया गया है। हर साल 200 से 250 छात्र यहां विदेशी भाषाएं पढ़ने आते हैं। उत्तर प्रदेश का यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसमें इतनी संख्या में विदेशी भाषा सीखने के लिए छात्र आते हैं। इन पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करके छात्र टूरिस्ट गाइड, शिक्षण संस्थानों, विभिन्न दूतावासों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भविष्य बना रहे हैं। पर्यटन पुलिस को भी संस्थान में विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण दिया गया था। जिससे वह विदेशी पर्यटकों के साथ संवाद स्थापित कर सकें। यह प्रदेश का छात्र संख्या की दृष्टि से सबसे समृद्ध विश्वविद्यालय है। कोरोना काल में भी यहां के छात्रों को नौकरी मिली है। इस विभाग को बंद करने का फैसला तब लिया गया है जब सरकार नई शिक्षा नीति के तहत विदेशी भाषाओं को शामिल किया गया है। कौशल विकास पाठ्यक्रमों के तहत भी इस तरह के पाठ्यक्रम खोलने की तरफ कदम उठाए जा रहे हैं।
ज्यादातर गाइडों ने सीखी यहां विदेशी भाषा
विदेशी भाषा विभाग से ताजमहल, आगरा किला समेत अन्य स्मारकों पर कार्यरत अधिकतर गाइडों ने इसी विभाग से विदेशी भाषा सीखी है। इसके अलावा कई पब्लिक स्कूलों और संस्थानों में विदेशी पढ़ाने वाले शिक्षक भी यहां से पढ़े हुए हैं।
हर साल जीतते हैं छात्र
रूसी दूतावास नई दिल्ली में प्रतिवर्ष होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विदेशी भाषा विभाग के छात्र प्रतिभाग करते हैं। कई वर्षों से प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त करते चले आ रहे हैं। यहां के कई छात्र स्कालरशिप प्राप्त कर विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।आवासीय संस्थानों में कम है छात्र संख्याविश्वविद्यालय के आवासीय संस्थानों छात्रों की कम संख्या से जूझ रहे हैं। एेसे में इस विभाग में 200 से 250 छात्रों का प्रवेश नहीं होना कई मायनों में प्रभाव छोड़ेगी। इन पाठ्यक्रमों की फीस भी निवर्तमान कुलपति प्रो. अरविंद मिश्रा के कार्यकाल में बढ़ाई गई थी। पहले यहां 675 रुपये फीस थी।
यह पाठ्यक्रम हैं संचालित
पाठ्यक्रम फीस
सर्टिफिकेट फ्रेंच,रशियन, जर्मन- 2275 रुपये
डिप्लोमा फ्रेंच, जर्मन, रशियन- 3275 रुपये
एडवांस डिप्लोमा फ्रेंच, जर्मन, रशियन- 3275 रुपये
मुझे जानकारी मिली कि इस साल से हमारा विभाग बंद हो रहा है, हैरान हूं मैं क्योंकि इस विभाग से भाषा सीखने के बाद मेरी नौकरी में काफी तरक्की मिली। मुझे काफी मौके भी मिले।
मनीष शर्मा,पूर्व छात्र
मैंने यहां से रशियन सीखी थी, काफी मददगार साबित हो रही है यह भाषा मुझे मास्को में। इस तरह के पाठ्यक्रम आज की जरूरत है, इन्हें बंद नहीं करना चाहिए।
- ब्रह्मआदित्य सोलंकी, पूर्व छात्र
विदेशी भाषा विभाग के स्वरूप को बदलने पर मंथन चल रहा है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
- प्रो. आलोक राय, कार्यकारी कुलपति
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