कानपुर, NOI: आयकर में दो तरह के रिटर्न का विकल्प यूं तो पिछले वर्ष ही आ गया था और करदाताओं ने उसके हिसाब से टैक्स का नियोजन भी किया था, लेकिन अब उस रिटर्न को फाइल करने का समय है। जिन करदाताओं ने नए रिटर्न का विकल्प चुना है, खासतौर पर सरकारी या निजी संस्थानों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे धारा 80सी के तहत लाभ नहीं ले सकेंगे। उन्हें अपने रिटर्न में इसका प्रयास भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में रिटर्न गलत हो सकता है। उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा। यह स्थिति पहली बार है, इसलिए उन्हें अपने रिटर्न फाइल करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि उन्हें कौन से लाभ मिल रहे हैं और कौन से नहीं व उन्हें कौन से आंकड़े दिखाने हैं।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में कर की स्लैब दरों में कमी लागू की गई। वित्तीय वर्ष 2020-21 के आयकर रिटर्न में कम की गई स्लैब दरों का लाभ करदाता प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें आयकर कानून व नियमों के तहत स्वीकृत सकल कुल आय से कटौतियों, छूटों एवं आय के अन्य शीर्षकों के तहत स्वीकृत कर मुक्ति के लाभ से वंचित कर दिया गया है। यदि करदाता के पास ऐसी कटौती, छूट व कर मुक्तियों का लाभ नहीं है, तब उन करदाताओं के लिए नई घटी टैक्स स्लैब दरें चुनना फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। जिन आयकरदाताओं के पास कटौतियों, छूटों को प्राप्त करने का विकल्प मौजूद है, उन्हें पुरानी टैक्स स्लैब दरों से आयकर के भुगतान का चयन करना ही लाभकारी होगा। टैक्स की नई अथवा पुरानी स्लैब दर चुनने के लिए करदाता को इसका विकल्प आयकर की विभागीय वेबसाइट में रिटर्न दाखिले के पहले फार्म-10 आइईअपलोड करना होगा।
टैक्स सलाहकार संतोष गुप्ता के मुताबिक, आयकर के घटे नए स्लैब दर का फायदा व्यक्तिगत व एचयूएफ हैसियत के करदाताओं को ही स्वीकृत किया गया है। 60 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिक इस नए घटे स्लैब दर का विकल्प चुनकर फायदा ले सकते हैं। ढाई लाख तक कर योग्य आमदनी में नए व पुराने दोनों की स्लैब दरों में कर मुक्ति स्वीकृत है। 

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