लखनऊ, NOI :  प्रदेश में शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए अब महाविद्यालयों के वे शिक्षक भी शोध निर्देशन (पीएचडी) कर सकेंगे जिनके दो शोधपत्र ही प्रकाशित हुए हैं, वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों पर पांच शोधपत्र प्रकाशन का नियम लागू रहेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने शोध निर्देशन का संशोधित शासनादेश जारी कर दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शोध कार्यों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है। इसी के आधार पर सरकार पांच सितंबर को ही आदेश दे चुकी है कि सभी परास्नातक व स्नातक विभागों के अर्ह शिक्षक शोध निर्देशन (पीएचडी) कराएं।

शासनादेश में व्यवस्था थी कि ऐसे नियमित व पूर्णकालिक शिक्षक जो पीएचडी किए हों और कम से कम पांच शोधपत्र रेफर्ड जनरल में प्रकाशित किए हों वे शोध निर्देशन कर सकेंगे। इस पर महाविद्यालयों के शैक्षिक संगठनों ने उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से मांग की थी कि यूजीसी में निर्धारित मानक के अनुसार महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए संदर्भित पत्रिकाओं में पांच के बजाए दो शोधपत्र प्रकाशित किए हों को मान्य किया जाए। अब शैक्षिक संगठनों की मांग को स्वीकार करके यूजीसी अधिनियम में तय व्यवस्था के अनुसार आदेश जारी करने के निर्देश दिए गए। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने बताया कि विश्वविद्यालय का कोई भी नियमित शिक्षक जो जिसने संदर्भित पत्रिका में पांच शोधपत्र प्रकाशित किया हो और महाविद्यालयों का असिस्टेंट प्रोफेसर जो पीएचडी किए हो और संदर्भित पत्रिका में दो शोधपत्र प्रकाशित किए हों अब पीएचडी करा सकेंगे।

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