प्रयागराज की इन महिलाओं के हुनर को सलाम, कपड़ों की तुरपाई से सजाया जिंदगी का गोटा
सेरावां गांव की ऊषा बनीं आत्मनिर्भर
प्रयागराज के सेरावां गांव की ऊषा तकरीबन 15 वर्षों से लड़कियों और महिलाओं को कपड़ों की तुरपाई से जिंदगी का गोटा सजाने का काम कर रही हैं। सेरावां के स्वामी विवेकानंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। इसी बीच उनकी शादी हो गई। पति महेश मिश्र डाक विभाग में पोस्टमैन हैं। सामान्य घर से ताल्लुक रखने वाली ऊषा का बचपन हमेशा कुछ नया करने में ही बीता। यही वजह है कि उन्होंने अपनी जिद के आगे गरीबी को झुका दिया। उनका ख्वाब रहा कि वह खुद आत्मनिर्भर रहें और महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाएं। उन्होंने करीब 15 वर्ष पहले सिलाई-कढ़ाई सिखाना शुरू कर किया।
सेरांवा की निकिता को मिली सफलता
सेरावां स्थित पंडित का पूरा गांव की निकिता का बचपन मुफलिसी में गुजरा। पिता इंद्रपाल यादव किसान और मां गृहिणी हैं। निकिता ने बताया कि वह अब 600 लड़कियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं। उन्होंने इसी के बूते अपना घर बनवाया और तीन बहनों की शादी की। इसके अलावा दो छोटे भाइयों को पढ़ाया भी। इसके बाद अपने खर्च से खुद की शादी भी की। अभी भी वह निरंतर प्रशिक्षण देने के साथ घर की जिम्मेदारी उठा रही हैं।
दुल्हन सजाकर कीर्ति-बीनू बनीं आत्मनिर्भर
मंसूराबाद की कीर्ति और अटरामपुर की बीनू कुशवाहा ने दुल्हन सजाकर गरीबी को मात दी है। वह खुद आत्मनिर्भर होने के साथ लड़कियों के लिए रोजगार के द्वार खोल रही हैं।दोनों लोग ब्यूटी पार्लर का संचालन भी करती हैं। कीर्ति के पति मुकेश फोटो स्टूडियो संचालित करते हैं और बीनू के पति रंजीत इलेक्ट्रानिक्स की दुकान चलाते हैं।
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