Sawan 2021: लखनऊ के शिव मंदिरों में नहीं बजेगा घंटा न होगी भीड़, प्रतिबंधों के बीच होंगे दर्शन
लखनऊ, NOI : प्रतिबंधों के बीच एक बार फिर भगवान शिव के प्रिय महीने श्रावण मास की शुरुआत हो रही है। प्रसिद्ध मंदिरों में घंटे बजाने से लेकर प्रसाद चढ़ाने तक में प्रतिबंध रहेगा। बावजूद इसके मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ रहेगी। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि 25 जुलाई से श्रावण शुरू हो रहा है। 26 को पहला सोमवार पड़ेगा, जिसे लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं। गर्भ गृह में जलाभिषेक के बचाय छह फीट दूर से जलाभिषेक की व्यवस्था की गई है। इससे पहले 24 को गुरु पूर्णिमा की आरती होगी। महाकाल मंदिर के व्यवस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया कि भस्म आरती के साथ ही रुद्राभिषेक होंगे। सरकार की गाइड लाइन के अनुरूप दर्शन का इंतजाम होगा। बुद्धेश्वर मंदिर में मेला नहीं लगेगा, दर्शन की व्यवस्था होगी। कोनेश्वर मंदिर, बड़ा व छोटा शिवाला, कोतवालेश्वर मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी पूजन का इंतजाम शुरू हो गया है।10 साल से नीचे और 60 साल के ऊपर का प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा।
भगवान शिव की आराधना का मास है श्रावण: लखनऊ विवि संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग की आचार्या, डा.भुवनेश्वरी भारद्वाज ने बताया कि भगवान शिव को अतिप्रिय हाेने के कारण श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करना एक पक्ष है, दूसरा और सशक्त पक्ष है कि संहारकर्ता के रूप में प्रसिद्ध भगवान शंकर के कई रूप और हैं जिन्हें इस महीने में जानने वाला जातक उनकी विशेष कृपा का पात्र होता है। आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि ऋगवेद में भोलेनाथ को नृघ्न यानि मानव का हनन करने वाला कहा गया है जबकि ऐतरेय ब्राह्मण में भगवान शिव को भयंकर रुद्र के रूप में परिभाषित किया गया है। किंतु संहार, विनाश या प्रलय समग्र सृष्टि का एक पक्ष है जिसे भोलेनाथ से जोड़कर देखना मुझे अनुचित लगता है। भगवान सदाशिव पंचकृत्यकारी हैं। उनके पांच कृत्यों सृष्टि, स्थिति,संहार, निग्रह और अनुग्रह के अनुसरण करने का महीना भी श्रावण मास है। ऋषि मार्कंण्डेय की यमराज से रक्षा करने की दास्तां सर्वप्रसिद्ध है। इसलिए भगवान शिव मृत्युंजय हैं। काल के काल महाकाल हैं। ऐसे में भगवान शिव शंकर श्रद्धालुओं को संरक्षण भी देते हैं। श्रावण मास के प्रिय महीने में उनकी आराधना किसी भी रूप में की जाए, श्रद्धालुओं पर उनकी कृपा बरसती है। बाहरी आडंबर से दूर भगवान शिव जी को एक लोटा जल और त्रिशूल स्वरूप बेल पत्र अर्पित करने वाले को भी वहीं कृपा मिलती है जितनी आडंबर करने वालों को मिलती है। श्रावण खुद को समझने और भगवान शिव की सादगी को जीवन में उतारने और जीने का सलीका सीखने का भी महीना है। श्रावण में महिलाएं किसी भी रूप में उनकी पूजा करें, उन्हें मां पार्वती की कृपा के साथ भगवान शंकर से आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
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