एयरपोर्ट पर नौकरी दिलाने के नाम पर करते थे ठगी, पुलिस ने दबोचे
नई दिल्ली NOI: एयरपोर्ट पर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के मामले में आइजीआआइ थाना पुलिस ने एक गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों में नवीन व कमल शामिल हैं। दोनों आरोपित अलीगढ़ के रहने वाले हैं। पुलिस के अनुसार गिरोह ठगी के शिकार पीड़ितों से अलग अलग बैंक खातों में रुपये जमा करवाता था। जांच में पलिस को पता चला कि यह एक गिरोह है, जो संगठित तरीके से चलाया जा रहा है। ठगी की रकम को अलग-अलग बैंक खाते में ठिकाना लगाया जा रहा था।
बैंक खाते की बदमाश खरीद-बिक्री तक करते थे। अभी तक इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, अन्य की तलाश की जा रही है। एयरपोर्ट जिला पुलिस उपायुक्त संजय त्यागी ने बताया कि पिछले वर्ष 17 जून को सुरेंद्र सिंह ने आइजीआइ थाना पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि उनसे एयरपोर्ट पर स्पाइस जेट एयरलाइंस में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी हुई है। शिकायत में कहा गया कि शुभम तिवारी और अरुण कुमार शर्मा के खाते में सिक्योरिटी डिपाजिट, बीमा चार्ज और अन्य मदों में खर्चे के नाम पर पैसे जमा करवाए गए।
पीड़ित ने पुलिस को आरोपित का मोबाइल नंबर भी दिया, जिसने उनसे नौकरी का झांसा देने के लिए संपर्क किया था। शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर एसीपी आइजीआइ की देखरेख में थाना प्रभारी इंस्पेक्टर यशपाल शर्मा, एसआइ सतीश कुमार, हेड कांस्टेबल ओमप्रकाश और रामअवतार की टीम को जांच के दौरान पता चला कि ऐसे कई पीड़ित हैं, जिन्हें आरोपितों ने नौकरी का झांसा देकर ठगा है। इन पीड़ितों ने कमल शर्मा और योगेश शर्मा के बैंक खाते में पैसे जमा किए थे।
जांच में जुटी पुलिस ने पहले तीन आरोपित शुभम तिवारी, अजय ठाकुर और हिमांशु ठाकुर को गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में पुलिस को नवीन के बारे में पता चला। नवीन ही वह शख्स था जो बैंक खाता उपलब्ध कराता था, जिसमें पैसे जमा करवाए जाते थे। नवीन का पता लगाने के लिए पुलिस ने तकनीकी छानबीन की मदद ली। उसने पूछताछ में बताया कि उसने 15 अलग अलग खाते हिमांशु ठाकुर सहित अन्य आरोपितों को उपलब्ध कराए थे, जिसमें वह ठगी कर पैसों को जमा करवाता था।
छानबीन के दौरान ही पुलिस ने कमल को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान पुलिस को कमल के नाम पर नौ बैंक खाते होने का पता चला। एक खाते का कमल 10 हजार रुपया वसूलता था। नवीन इन खातों को खरीदता था। इन खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम को ठिकाने लगाने में किया जाता था।
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