अमृतसर noi :  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सोच की दुनिया कायल रही है, पर पंजाब प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू तो उनसे आज भी प्रभावित हैं। वैसे उनकी ज्वाइनिंग अटल जी के एक फोन के बाद ही हुई थी। इसके बाद वह अमृतसर से लोकसभा के चुनाव में डट गए और तीन बार लोकसभा चुनाव जीते। अब दूसरी बार सिद्धू कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव में उतरे हैं, पर उनकी सोच में आज भी अटल जी की सोच ही झलक रही है। यही वजह है कि अटल जी के चुनाव के दौरान जो स्लोगन 'जांचा-परखा-खरा' मशहूर हुआ था, वह इस बार विधानसभा पूर्वी में लगे सिद्धू के होर्डिंग पर नजर आ रहे हैं। जब ये होर्डिंग लगे तो एक नेताजी ने चुटकी लेते हुए कहा कि चाहे नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस में जाकर अपनी विचारधारा बदल ली हो, पर आज भी उनको सहारा अटल जी की सोच का ही है।

विधायक को सुनाई खरी-खरी

विधानसभा चुनाव में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। अपनों को मनाने की कवायद जोरों पर है। इसमें उन नेताओं को खासी परेशानी आ रही है, जो विधायक बनने के बाद अपनों से ही दूर रहे। रुठों को मनाने की कवायद में एक विधायक ने अपने पार्षदों के साथ एक होटल में बैठक कर हालात जानने चाहे तो उनके खेमे के ही एक पार्षद का दर्द जुबान पर आ गया। जनाब ने नेताजी को खूब खरी-खोटी सुनाई। वह बोले, जब हम पर रेड हुई थी तब तो आपने फोन नहीं उठाया और जब उठाया भी तो कह दिया कि इस मामले में मैं कुछ नहीं कर सकता। हमारा तो कसूर सिर्फ इतना था कि हम आपके ग्रुप के पार्षद थे, वरना कांग्रेस की सरकार में कांग्रेस के पार्षद पर ही रेड हो जाए, यह तो वैसे ही पचने वाली बात नहीं है। इस पर विधायक कुछ स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।

कोई ना, खजाने में ही जाएंगे

भाजपा ने विधानसभा हलका पूर्वी से पूर्व आइएएस अधिकारी डा. जगमोहन ङ्क्षसह राजू को प्रत्याशी घोषित किया। रोचक बात यह रही कि जिले की लीडरशिप को उनके बारे में जानकारी ही नहीं थी। खैर, डा. राजू शहर पहुंचे। दरबार साहिब में माथा टेकने के बाद पार्टी कार्यालय में नेताओं संग बैठक की। फिर अगले दिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ नामांकन दाखिल करवा वह वापस जाने लगे। रिटर्निंग अधिकारी ने जब कागजों की जांच की तो पाया कि राजू अनुसूचित जाति से हैं, इसलिए उनकी नामांकन फीस आधी लगनी थी, पर उन्होंने पूरी भरी हुई है। अधिकारी ने इसकी जानकारी राजू को दी तो उनके साथ आए भाजपाइयों में से एक ने चुटकी लेते हुए कहा कि कोई बात नहीं, पूरी फीस ही रख लें। इसी बहाने सरकार के खाते में कुछ जाएगा, कांग्रेसियों ने तो खजाना लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस पर सभी हंसने लगे।

कहीं गड़ियां खाली ना हों

नेताओं के साथ कुछ ऐसे लोग जरूर होते हैं जो उनके आगे-पीछे मंडराते रहते हैं। वे उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बातें भी बताते हैं। बाद में यही लोग उनके पतन का भी कारण बनते हैं। चुनावी मौसम में एक जगह नेताओं की महफिल चल रही थी तो सभी अपने नेताजी की खूब तरीफ कर रहे थे। तभी एक ने उन्हें टोकते हुए कहा कि नेताजी को सही हालात के बारे में बताएं। उन्होंने एक नेता की उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले चुनाव के समय उन्हें किसी ने बताया कि आपके पीछे बड़े लोग हैं, देखो बाहर गाडिय़ां ही गाडिय़ां लगी हैं। जब नेताजी ने देखा तो वहां डेढ़ सौ से ज्यादा गाडिय़ां लगी थीं, पर उनमें लोग नहीं सिर्फ ड्राइवर ही थे। इस पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कहीं हमारा भी हाल ऐसा न हो जाए कि गाडिय़ां तो हों, पर खाली हों। उसमें लोग भी तो होने चाहिए।

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