हाई कोर्ट ने कहा- सूर्य नमस्कार धार्मिक उपासना की विधि नहीं बल्कि विशुद्ध रूप से यौगिक-प्रणाली
जानकारी के अनुसार जनहित याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई सूर्य नमस्कार सूर्य पूजा है और इस्लाम में यह मान्य नहीं है। संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता कि किसी धर्म विशेष मान्यताएं या टीचिंग्स शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में दी जाएं। इसी आधार पर जनहित याचिका में मांग की गई कि सूर्य नमस्कार अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक किया जाए।
जानकारी हो कि जनहित याचिका में कहा गया कि केंद्र व राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार एक जनवरी से सात फरवरी तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 करोड़ सूर्य नमस्कार प्रोजेक्ट संचालित है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 29 दिसंबर, 2021 को अधिसूचना जारी कर सभी शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजन की अनुमति दी है। यह आयोजन 30 राज्यों की 30 हजार संस्थाओं में हो रहा है। इसमें लगभग तीन लाख विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। खेल व युवा कल्याण मंत्रालय से संबद्ध नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने सूर्य नमस्कार का अभियान चलाया जा रहा है।
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