कानपुर, NOI : शहर में बढ़ते शोर से हर कोई वाकिफ है, मगर चिंता की बात यह है कि ध्वनि प्रदूषण कई जगहों पर मानक सीमा लांघ कहीं आगे बढ़ गया है। आइआइटी रुड़की की टीम ने शहर के ऐसे 13 स्थान चिह्नित किए हैं, जहां ये हालात सामने आए हैं। इंपैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलाजी (इंप्रिंट) इंडिया के निर्देशन में आइआइटी रुड़की की टीम ने शहर में 34 स्थानों पर शोध करके यह निष्कर्ष निकाला है। चिह्नित किए गए 13 स्थानों में चार तो ऐसे हैं जहां ध्वनि प्रदूषण मनुष्य की अधिकतम बर्दाश्त क्षमता (80 डेसिबल) से अधिक हो गया है। माल रोड पर सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषण 82.3 डेसिबल दर्ज किया गया है जबकि टाटमिल में 80.7 व बड़ा चौराहा पर 80.5 डेसिबल। एलएलआर (हैलट) अस्पताल क्षेत्र में 80.9 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया जाना भी साफ कर रहा है कि साइलेंस जोन का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा।

आइआइटी रुड़की की टीम ने शिक्षा मंत्रालय व नगर विकास मंत्रालय की अनुदानित परियोजना के तहत किए गए शोध में शहर के उन स्थानों को चिह्नित किया है, जहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों से कहीं ज्यादा है। कानपुर के अलावा इस परियोजना में वाराणसी, गोरखपुर में वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण का डाटा भी लिया जाएगा। शुरुआत कानपुर से हुई है। बीएचयू आइआइटी के प्रो. बृंद कुमार, आइआइटी रुड़की के उपनिदेशक और प्रो. मनोरंजन परिडा को इस परियोजना की जिम्मेदारी दी गई है। कानपुर के लिए आइआइटी रुड़की के रिसर्च स्कालर सौरभ उपाध्याय के नेतृत्व में आदर्श यादव व सचिन कुमार की टीम काम कर रही है। टीम ने शहर के कई चौराहों व मुख्य मार्गों पर वाहनों का दबाव व उससे हो रहे प्रदूषण की स्थिति का डाटा तैयार किया है। टीम को टाटमिल, घंटाघर, फजलगंज, बड़ा चौराहा, हैलट चौराहा, मरियमपुर चौराहा, विजय नगर चौराहा, दादानगर, कंपनी बाग, माल रोड, जाजमऊ, पीएसी मोड़ और देवकी चौराहा पर क्षमता से अधिक ध्वनि प्रदूषण मिला।

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