नई दिल्‍ली NOI : रूस और यूक्रेन के बीच उभरे तनाव के बीच पूरी दुनिया की निगाहें आने वाले दिनों पर लगी हैं। वहीं विश्‍व की निगाहें इस बात पर भी लगी हैं कि कौन किसका साथ देगा। इसके अलावा चीन और रूस के बीच आई नजदीकी से जहां अमेरिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं वहीं भारत के लिए ये एक बड़ी बात है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि रूस काफी लंबे समय से भारत का सहयोगी रहा है। रणनीतिक और आर्थिक दोनों ही क्षेत्रों में रूस के साथ हमारे घनिष्‍ठ संबंध रहे हैं। वहीं यदि चीन की बात करें तो वो भारत के लिए परेशानी का सबब बनता रहा है। बता दें कि पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने चीन को दुश्‍मन नंबर वन करार दिया था। जानकार मानते हैं कि इन दोनों देशों की नजदीकी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

आब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का मानना है कि चीन और रूस की नजदीकी एक बड़ी चुनौती बन सकता है। उनका कहना है कि अब तक इस मामले में संतुलन बनाए रखने की पूरी कोशिश की है। लेकिन भविष्‍य में ये संतुलन कितना बना रह सकता है ये कहना फिलहाल काफी मुश्किल है। भारत ने पिछले दिनों सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर हुई वोटिंग में दूरी बनाकर रखी थी। इसका सीधा अर्थ था कि वो रूस के साथ है। उस वक्‍त भारत ने कहा था कि वो इस तनाव का समाधान तलाशना चाहता है।

भारत इस मसले का समाधान खोज कर तनाव को खत्‍म करना चाहता है। भारत ये भी चाहता है कि इस समस्‍या का समाधान सभी देशों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए खोजने की जरूरत है। सा‍थ ही ये एक ऐसा समाधान होना चाहिए जो लंबे समय तक के लिए हो। प्रोफेसर पंत का कहना है इस तनाव को खत्‍म करने के लिए भारत के पास बेहद सीमित साधन है। उनका ये भी कहना है कि इस संकट का आखिरी नतीजा भारत के हितों को भी निश्चित तौर पर प्रभावित करेगा। यही वजह है कि भारत को इसका आकलन भी सावधानी से करना होगा। प्रोफेसर पंत का कहना है कि रूस और चीन के बीच आई नजदीकी भविष्‍य में भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। यही वजह है कि भारत ज्‍यादा समय तक इस नए गठबंधन की अनदेखी नहीं कर सकेगा।

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