वाशिंगटन, NOI : रूस द्वारा यूक्रेन के अलगाववादियों के नियंत्रण वाले दो क्षेत्रों को मान्यता दिए जाने के बाद हालात और बिगड़ रहे हैं। कई पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन के बाद अब जापान ने भी अमेरिका पर प्रतिबंध लगाए हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बुधवार को कहा कि हमारी सरकार जापान में रूस के सरकारी बांड को जारी करने और वितरण पर बैन लगाएगी।

किशिदा ने ये भी कहा कि जापान दो यूक्रेनी विद्रोही क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वीजा जारी करना भी निलंबित कर देगा। इसके अलावा जापान में उनकी संपत्ति को फ्रीज किया जाएगा और दोनों क्षेत्रों के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

अमेरिका ने भी लगाए प्रतिबंध

इससे पहले, मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी रूस पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है। बाइडन ने अपने संबोधन में कहा कि अब तक रूस को पश्चिमी देशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता आगे नहीं मिल सकेगी। बाइडन ने कहा कि हम रूस के दो बड़े वित्तीय संस्थानों VEB और सैन्य बैंक पर प्रतिबंध लागू कर रहे हैं। रूस के संप्रभु ऋण पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इसके अलावा बाइडन ने रूस के शीर्ष राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों पर भी प्रतिबंध लगाने का एलान किया है।

ब्रिटेन ने भी रूस के पांच बैंकों और तीन अरबपतियों के खिलाफ पाबंदियों की घोषणा की है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि रूसी अरबपतियों की ब्रिटेन में संपत्ति फ्रीज की जा रही है। साथ ही उन्हें ब्रिटेन आने से भी रोका जाएगा। इसके अलावा जर्मनी ने रूस के साथ नॉर्ड स्ट्रीम2 गैस पाइपलाइन को शुरू करने की प्रक्रिया रोक दी है। बता दें कि इस पाइपलाइन के जरिए जर्मनी में रूस से गैस पहुंचने वाली थी।

और हथियार देगा अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि अमेरिका, यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति जारी रखेगा। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि अमेरिका ने और अधिक हथियार देने का वादा किया है। उन्होंने अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की सराहना की है। कुलेबा ने कहा कि अमेरिका ने और अधिक हथियार की सहायता का वादा किया है।

दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने का अपना इरादा छोड़ दे। यूक्रेन यदि ऐसा करता है तो अभी भी समाधान निकल सकता है। उन्होंने पहले कहा था कि यूक्रेन यदि नाटो में शामिल होता है तो यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा होगा। रूस के इस कदम से पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच होने वाली शिखर वार्ता खटाई में पड़ गई। टकराव टालने के लिए इस वार्ता का प्रस्ताव किया गया था।

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