UP Election 2022: बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती में वोटों के बंटवारे पर टिकी निगाहें, पढ़ें- दो विधानसभा सीटों की ग्राउंड रिपोर्ट
श्रावस्ती, NOI : भारत-नेपाल सीमा और बहराइच से सटा श्रावस्ती विश्व प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थली होने के बावजूद आज भी देश के अति पिछड़े जिलों में शुमार है। ढाई दशक पूर्व पहली बार अस्तित्व में आए इस छोटे से जिले में भिनगा और श्रावस्ती दो विधानसभा सीटें हैं। श्रावस्ती में जहां त्रिकोणीय वहीं भिनगा में भाजपा-सपा सीधी लड़ाई में दिखती है, हालांकि, बहुत कुछ वोटों के बंटवारे पर निर्भर है।
बहराइच से बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती जिले की सीमा में प्रवेश करते ही गिलौला कस्बे में पिपरमिंट की जड़ बेच रहे आशाराम और रामू चुनावी माहौल के सवाल पर 'गजराज' यानी बसपा का जोर बताने में देर नहीं करते। मौजूदा भाजपा विधायक से नाराजगी जताते हुए कहते कि हम लोगों की तो कहीं सुनवाई ही नहीं जबकि मायावती के रहते कोई दिक्कत नहीं थी। वहीं जड़ खरीद रहे मानिकपुर खर्द के मुलीम अली का सपा की ओर झुकाव दिखा। कहते हैं कि बेसहारा जानवरों की बड़ी समस्या है जिस पर तिलकपुर के श्यामलाल भी हां में हां मिलाते हैं।
परसौरा माफी में मिले अरविन्द यादव पहले तो सभी का जोर बताते हैं लेकिन कुरेदने पर साइकिल की बात करने लगते। ब्राह्मण बहुल श्रावस्ती सीट के मतदाता दिलीप तिवारी व सत्येंद्र मिश्र कहते हैं कि भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया होता तो कोई दिक्कत ही नहीं थी। इकौना में मिले सोनराई गांव के अनिरुद्ध, बाटी-चोखा बेच रहे नंदलाल भी कहते हैं कि हम लोग मोदी-योगी के लिए भाजपा को वोट करेंगे। हालांकि, विधायक से नाराज ब्राह्मणों का एक तबका क्षेत्र के लोकप्रिय डाक्टर की पत्नी नीतू मिश्रा के साथ दिख रहा है। कटरा श्रावस्ती में चाय की दुकान पर खड़े काशीराम यादव त्रिकोणीय मुकाबले की बात समझाते हुए यह भी कहते हैं कि विधायक का विरोध हो सकता है लेकिन भाजपा का नहीं। नीतू मिश्रा के कारण ब्राह्मण वोट बसपा से और सपा विधायक रहे रमजान के कारण मुस्लिम वोट कांग्रेस से कुछ बंटता दिख रहा है। हालांकि, मुस्लिम मतदाताओं की नजर स्वजातीय के बजाय उस पर ज्यादा है जो भाजपा को हराते दिखे। वहीं मशीनरी का काम करने वाले विनोद पाण्डेय कहते हैं कि प्रत्याशी से नाराजगी भले ही है लेकिन मोदी-योगी के नाम पर अंतत: भाजपा को ही वोट पड़ेगा।
श्रावस्ती के जिला मुख्यालय भिनगा के नई बाजार में पान की दुकान के पास बैठे बाबू राम भिनगा सीट का चुनावी परिदृश्य बताने में देर नहीं लगाते कि यहां तो भाजपा की सीधी लड़ाई सपा से है। बताते हैं कि भितरघात से हारे पिछली बार के प्रत्याशी को टिकट न देकर भाजपा ने पूर्व सांसद पदम सेन चौधरी को टिकट दिया तो पहले कुछ नाराजगी दिखी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां आने से अब सब कुछ ठीक दिख रहा है। पंकज कहते हैं कि वर्ष 2012 से 17 तक विधायक रही इंद्राणी देवी पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर थी लेकिन इस बार तो यहां सपा मुख्य लड़ाई में दिख रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी यहां माहौल बनाने के लिए आए थे। कांग्रेस और एआईएमआईएम ने मुस्लिम महिला प्रत्याशी उतारा है लेकिन अल्पसंख्यकों का झुकाव 'साइकिलÓ की ओर ज्यादा दिखता है। लक्ष्मण नगर के राम किशन कहते हैं कि बसपा ने अलीमुद्दीन को टिकट दिया है लेकिन मुफ्त राशन आदि योजनाओं के लाभ के चलते दलितों का भी ठीकठाक वोट भाजपा को मिलेगा ही। बताते हैं कि यहां ब्राह्मणों का ठीकठाक वोट है। चूंकि दूसरी पार्टियों ने ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं उतारा है इसलिए ब्राह्मण मोदी जी के नाम पर भाजपा के साथ ही जाएगा।
पिछली बार भाजपा-बसपा में बंटी थी एक-एक सीटः पिछले चुनाव में श्रावस्ती में भाजपा और बसपा के बीच एक-एक सीट बंट गई थी। अबकी चुनाव में श्रावस्ती सीट पर जहां भाजपा ने अपने विधायक राम फेरन पांडेय पर फिर दांव लगाया है वहीं भिनगा से बसपा के बागी विधायक असलम राइनी अब 'साइकिल' पर सवार होकर श्रावस्ती से किस्मत आजमा रहे हैं। पिछली बार मात्र 445 मतों से रनरअप रहे सपा के पूर्व विधायक मुहम्मद रमजान को यहां से टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस से लड़ रहे हैैं। पिछली बार निर्दलीय लड़ी नीतू मिश्रा अबकी बसपा से चुनाव मैदान में हैं। भिनगा से भाजपा ने पूर्व सांसद पदमसेन चौधरी तो सपा ने पिछली प्रत्याशी पूर्व विधायक इंद्राणी देवी को मैदान में उतारा है। बसपा-कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए हैं।
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