रांची, NOI : टोक्यो ओलिंपिक में पहली बार महिला वर्ग में भवानी देवी ने फेंसिंग में भारत का प्रतिनिधत्व किया। भवानी का ओलिंपिक सफर सोमवार में दूसरे दौर में ही थम गया। भवानी का यह प्रदर्शन झारखंड में फेंसिंग के विकास में कितना सहायक होगा। क्या यहां से भी खिलाड़ी निकलेंगे। यह ऐसा प्रश्न है जो फेंसिंग से जुड़े खिलाड़ी व पदाधिकारी जानना चाहेंगे। झारखंड फेंसिंग एसोसिएशन के महासचिव जय कुमार सिन्हा का मानना है कि सिर्फ ओलिंपक में भागीदारी से ही खेल का विकास नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि हमलोग सिर्फ ओलिंपिक में भागीदारी से संतुष्ट हो जाते हैं जबकि चीन, जापन, कोरिया, अमेरिका जैसे देशों के खिलाड़ी पदक जीते बिना संतुष्ट नहीं होते। उन्होंने कहा कि यह जज्बा भारतीय खिलाड़ियों में भी होना चाहिए। रही बात झारखंड में इस खेल के भविष्य की तो जहां इस खेल का आधारभूत संरचना ही नहीं है वहां इस खेल के विकास की बात करना बेमानी होगी। इस खेल के उपकरण काफी महंगे हैं जो खिलाड़ियों को उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। यहां एक बार फिर सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

अगर सरकार इस खेल के लिए आधारभूत संरचना तैयार करें और खिलाड़ियों को उपकरण उपलब्ध करा दें तो यहां से इस खेल के खिलाड़ी निकल सकते हैं। लेकिन उसके लिए भी काफी समय लगेगा। झारखंड फेंसिंग संघ के अध्यक्ष अर्चित आनंद भी मानते हैं कि इस खेल के विकास में सरकार के साथ साथ संघ को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। राज्य में रांची को छोड़ दिया जाए तो दूसरे जिलों में यह खेल नहीं होता है। ऐसे में खिलाड़ी कैस इससे जुडेंगे। हाकी, फुटबाल की तरह सरकार अगर हर जिले में आधारभूत संरचना उपलब्ध कराये तब कुछ बात बने। अभी तो कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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