गोरखपुर, NOI : गोरखपुर जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से किए जाने वाले तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में मतदान प्रतिशत अपेक्षित रूप से न बढ़ने पर एक बार फिर मंथन शुरू हो गया है। महिला एवं पुरुष मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में बड़े अंतर को देखते हुए मतदान प्रतिशत में कमी का सबसे बड़ा कारण रोजगार के सिलसिले में पुरुषों का बड़े शहरों की ओर विस्थापन माना जा रहा है। कोरोना रोधी टीकाकरण के दौरान भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आयी थी कि 16 से 17 प्रतिशत लोग बाहर रहते हैं। अब महिला एवं पुरुष मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में अंतर आने से भी इस सर्वे की रिपोर्ट को बल मिला है।

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के मतदान प्रतिशत में कमी

जिले में इस बार जहां 51.51 प्रतिशत पुरुष मतदाता वोट देने के लिए उपस्थित हुए थे, वहीं महिलाओं के उपस्थित होने का प्रतिशत इससे अधिक था। 61.86 प्रतिशत महिलाएं वोट देने के लिए आगे आयीं। विधानसभावार आंकड़ों पर गौर करें तो चौरी चौरा में करीब महिला एवं पुरुषों के बीच करीब 16 प्रतिशत का अंतर नजर आता है। यानी पुरुषों के मुकाबले 16 प्रतिशत अधिक महिलाएं वोट देने निकलीं। इसी तरह बांसगांव में 15 प्रतिशत महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक वोट देने के लिए बूथ तक गईं। चिल्लूपार में 14 प्रतिशत, खजनी में 13 प्रतिशत, सहजनवा में 10 प्रतिशत अंतर है। इस अंतर के पीछे कारण माना जा रहा है कि पुरुष रोजगार के सिलसिले में बाहर होने के कारण मतदान के लिए उपस्थित नहीं हो रहे। पंचायत चुनावों में उन्हें बुलाया जाता है तो मतदान प्रतिशत भी बढ़ जाता है। कुछ लोग मजदूरी के कारण भी पुरुषों के वोट न डालने का तर्क देते हैं लेकिन इस तर्क को तर्कों के आधार पर अधिक समर्थन नहीं मिलता।

एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नाम होना भी कारण

सैकड़ों ऐसे मतदाता हैं, जिनके नाम एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में है। वे कहीं एक स्थान पर वोट देते हैं, जिससे दूसरे स्थान पर उनकी अनुपस्थिति नजर आती है। जब मतदान प्रतिशत निकाला जाता है तो कुल संख्या में इजाफा होने से प्रतिशत कम आता है। चुनाव सुधारों की बात करने वाले मतदाता सूची को भी आधार से लिंक करने की मांग उठा रहे हैं।

अधिकारी बोले

जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि मतदान प्रतिशत में कमी के पीछे बड़ी संख्या में मतदाताओं का बाहर रहना एक कारण है। टीकाकरण के दौरान भी इस तरह का मामला प्रकाश में आया था। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाते रहेंगे।

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