वाशिंंगटन/मास्‍को, NOI : रूस और यूक्रेन जंग के बीच अमेरिका ने रूस को नुकसान पहुंचाने और सबक सिखाने के मकसद से उससे आने वाले तेल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। अमेरिका ने यूरोप के अन्‍य देशों में इस संबंध में जल्‍द कार्रवाई करने और इस पर मुहर लगाने की भी अपील की है। वहीं रूस ने इसको लेकर आगाह किया है। अमेरिका समेत समूचे पश्चिमी देशों को रूस ने ये भी धमकी दी है कि यदि उसके तेल की सप्‍लाई को प्रतिबंधित किया गया तो वो यूरोप को होने वाली अपनी गैस की सप्‍लाई को रोक देगा।

रूस का कहना है कि यदि ऐसा कुछ हुआ तो वो रूस से यूरोप को होने वाली गैस की सप्‍लाई को रोक देगा। रूस की तरफ से आए इस बयान के बेहद खास मायने इसलिए भी हैं क्‍योंकि यूरोप में गैस की कुल खपत का करीब 40 फीसद हिस्‍सा रूस से ही आता है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था जर्मनी उसका सबसे बड़ा खरीददार रहा है। इसके अलावा फ्रांस और अन्‍य देश भी रूस के तेल और गैस सप्‍लाई के दम पर ही आगे बढ़ने का दम भरते हैं। ऐसे में यदि रूस ने अपनी गैस की सप्‍लाई को रोक दिया तो यूरोप के आर्थिक विकास का पहिया रुक जाएगा।

 वहीं जानकारों की इस बारे में राय कुछ अलग है। जानकार मानते हैं कि यदि अमेरिका के दबाव में पश्चिमी देश इस तरह का कोई भी फेसला लेते हैं तो इसका परिणाम सभी को भुगतना होगा। इन जानकारों की राय में ऐसे में तेल की कीमतें, जो मौजूदा समय में ही 14 वर्षों के सबसे अधिक ऊंचाई पर हैं, में करीब 200 डालर प्रति बैरल से भी अधिक का ऊछाल आ सकता है। इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था आम आम आदमी की जेब पर पड़ना पूरी तरह से स्‍वाभाविक है। 

पश्चिमी देशों और अमेरिका को खुले रूप से आगाह किया है कि यदि उसके ऊपर तेल को लेकर प्रतिबंध लगाया गया तो ये अच्छा नहीं होगा। आपको बता दें कि अमेरिका ने पश्चिमी देशों से कहा है कि वो रूस को सबक सिखाने के लिए उससे आयल इंपोर्ट को बंद कर दें। अमेरिका ने इसकी वजह रूस द्वारा यूक्रेन में फंसे लोगों को वहां से निकालने के लिए हुई वार्ता में मामूली तेजी आना बताया है।

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