अभिभावक बच्चों के मोबाइल की हिस्ट्री चेक करते रहें ताकि वे फोबिया के शिकार न हों
प्रयागराज, NOI : घरों में झगड़े, माता पिता और बच्चों के रिश्ते में पैदा होती खटास, खुदकशी और मन में उदासी, उबासी और फोबिया। इन सब की वजह मोबाइल फोन भी है। कहीं आपके घर में भी मोबाइल की लत परेशानी का कारण तो नहीं बन रहा। बच्चों में मोबाइल की लत पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए उनके मोबाइल की हिस्ट्री को भी चेक करना अभिभावकों के लिए आवश्यक है।
मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की सहायता लें
प्रयागराज में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय यानी काल्विन अस्पताल में संचालित मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की सहायता आप भी ले सकते हैं। सितंबर 2019 से संचालित इस केंद्र में आने वाल मामले भी अजब-गजब हैं।
बेटे ने कर ली खुदकुशी तब आया होश
सुलेमसरांय में रहने वाले एक परिवार की दिक्कत थी कि उनका 12वीं कक्षा में पढऩे वाला बेटा हर समय मोबाइल में व्यस्त रहता था। फोन छीनने पर चिड़चिड़ापन दिखाता था। करीब दो वर्ष पूर्व उसे लेकर पिता मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र पहुंचे। पहली बार वहां मनोचिकित्सकों ने लड़के की काउंसिलिंग की। दोबारा पिता उसे लेकर केंद्र गए ही नहीं। एक दिन बेटे ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद पिता ने उसके मोबाइल की हिस्ट्री देखी तो पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटा मोबाइल पर अधिकांश समय यही देखता था कि लोग खुदकुशी कैसे और क्यों कर लेते हैं, खुदकुशी का आसान तरीका क्या है।
क्या कहती हैं मनोवैज्ञानिक डा. ईशान्या राज
मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की प्रभारी नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा. ईशान्या राज कहती हैं कि यूपी बोर्ड परीक्षा शुरू हो चुकी है लेकिन छात्र छात्राएं आफलाइन परीक्षा के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पा रहे हैं। कोई सिर में दर्द की तकलीफ बताने आ रहे हैं किसी को यह दिक्कत है कि बोर्ड परीक्षा से डर लग रहा है। पढ़ाई के बजाए बच्चे अधिकांश समय मोबाइल फोन में दे रहे हैं, गणित के प्रश्नों को कापी पर हल करने की बजाए गूगल का सहारा ले रहे हैं।
नींद नहीं आती, दिन भर खेलते हैं गेम
मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले अधिकांश मामले बच्चों को नींद न आने, ज्यादातर समय मोबाइल पर गेम खेलने या गूगल पर अनाश्यक चीजें देखने की आदत के आ रहे हैं। यह स्थिति बच्चों ही नहीं उम्रदराज लोगों की भी है।
बच्चों के मोबाइल का लत छुड़ाने का करें प्रयास
नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा. ईशान्या राज कहती हैं कि मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल अब परिस्थितिजन्य मजबूरी होता जा रहा है। आनलाइन स्कूली कक्षा, आनलाइन कोचिंग भी चल रही है। लेकिन बच्चों के मोबाइल फोन की हिस्ट्री भी अभिभावकों को देखते रहना है कि वास्तव में बच्चे फोन में देख क्या रहे हैं।इससे मोबाइल की लत छुड़ाने में आसानी हो जाएगी।
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