जयपुर NOI :  राजस्थान में अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में लगी आग 20 किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल में फैल गई है। आग पर काबू पाने के लिए सेना के दो हेलीकाप्टारों से पानी का छिड़काव किया जा रहा है। सिसीसेढ़ झील से लेकर ट्रेक्टर-ट्रोली से पानी जंगल में डाला जा रहा है। हेलीकाप्टर के एक दर्जन फेरे अब तक लगाए जा चुके थे। इसके साथ ही वन विभाग के करीब 250 कर्मचारी अन्य संसाधनों से आग बुझाने में जुटे हैं। आग जंगल के जिस हिस्से में तेजी से फैली है वहां कई बाघ रह रहे हैं। वर्तमान में सरिस्का में कुल 25 बाघ हैं।

चार गांवों को खाली करवाया गया

सरिस्का वन क्षेत्र के आसपास बसे चार गांवों के कुछ हिस्सों को खाली करवाया गया है। सरिस्का के वन अधिकारी सुदर्शन शर्मा का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ट्रेक्टर-ट्राली और कर्मचारियों को चढ़ने में परेशानी हो रही है। पहाड़ी इलाके में हेलीकाप्टर से ही पानी का छिड़काव किया जा रहा है। आगे से करीब 160 हेक्टेयर जंगल अब तक जल चुका है। आग पर अब तक काबू नहीं पाया जा सका है। आग वाले हिस्से में 500 से 1000 मीटर दूर तक फायर लाइन बनाई गई है। उन्होंने बताया कि सरिस्का के अकबरपुर रेंज में जहां आग लगी है वहां बाघों की नर्सरी है। यही सबसे ज्यादा खतरा है। यहां बाघिन एसटी-17 और उसके दो शावक, एसटी-20 और एसटी-14 का क्षेत्र है। बाघों के अतिरिक्त तेंदुए और अन्य वन्यजीव भी इस क्षेत्र में रहते हैं।

सरिस्का के नायब तहसीलदार खेमचन्द सैनी ने बताया कि रविवार शाम का रिजर्व के बालेटा पृथ्वीपुरा नाका स्थित पहाड़ियों में आग लगी थी, जिस पर देर रात तक काफी हद तक काबू पा लिया गया था। उसके बाद सोमवार को फिर आग फैली। आग का फैलाव रिजर्व के नारंडी, रोटक्याला, बहेड़ी और अकबरपुर तक हो गया है। सैनी ने बताया कि आग लगने से वन एवं वनस्पति, घास, झाडियां, बांस और धोक वृक्ष प्रजातियों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि अब यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि कितना नुकसान हुआ है। आग लगने के कारणों का फिलहाल पता नहीं लग सका है।

जानवरों के आबादी क्षेत्र में आने की आशंका

रिजर्व में तेजी से फैल रही आग के कारण जंगली जानवरों के आबादी क्षेत्र में आने की आशंका बढ़ी है। कुछ छोटे वन्यजीव सोमवार को आबादी क्षेत्र की तरफ नजर भी आए थे। स्थानीय प्रशासन की तरफ से लोगों को माइक के माध्यम से जंगली जानवरों से सावधान रहने के लिए सचेत किया जा रहा है। वन अधिकारियों ने बताया कि जंगल में आग को फायर ब्रिगेड से नहीं बुझाया जा सकता है। पहाड़ पर उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। ऐसे में फायर लाइन की मदद से ही आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत एक रेखा खींची जाती है, जिसमें से ज्वलनशील  घास, टहनियां, सूखे पत्ते आदि हटा दिए गए। गीली टहनियां, हरी पत्तियां आदि उस स्थान पर रखे गए, जिससे आग फैलने से रोकी जा सके। 

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