लखनऊ, NOI : बिजली विभाग को आर्थ‍िक नुकसान पहुंचाने में बकाएदारों के साथ-साथ कुछ अभियंताओं की भूमिका भी संदिग्ध रही है। बकाए पर जिस परिसर की बिजली काटी गई, वहां फिर बिलिंग एजेंसियों की सिफारिश पर नाम व पते में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके कनेक्शन उसी परिसर में जारी कर दिए गए।

अशरफाबाद स्थित दीन दयाल रोड सीएमएस स्कूल के पास कासिम सिद्दीकी की आइडी नंबर 7738301000 वाणिज्यिक कनेक्शन दो किलोवाट का जारी कर दिया गया। इस परिसर पर करीब 64,116 रुपये मई 2015 से बकाया था, जो वर्तमान में ब्याज लगकर लाखों में हो गया होगा। यह चौक खंड में बानगी है।

चौक सूत्रों की माने तो मेहताबाग बिजली घर में लगभग 1300 बकाएदार, विक्टोरिया बिजली उपकेंद्र में करीब 6480 बकाएदार, नादान महल रोड में करीब 2480 बकाएदार और मेडिकल कालेज में 2804 ऐसे बकाएदार थे, जिनकी बिलिंग बंद कर दी गई, इन पर कुछ न कुछ बिजली का बिल बाकी था। नियमानुसार इनके परिसरों में बिजली कनेक्शन नहीं होना चाहिए। इन नियमों के बाद भी अभियंताओं ने दूसरे नामों व पतों में परिवर्तन करते हुए उन्हीं परिसरों में कनेक्शन दे दिए, जो चल रहे हैं। अगर निष्पक्ष जांच की जाए तो अधिशासी अभियंता से लेकर जेई तक फंस सकते हैं।

रेजीडेंसी में बैठकर हो रही लीपापोती : चौक खंड में दैनिक जागरण द्वारा लिखी गई शीर्षक ट्रांसफार्मर न लगाना पड़े, इसलिए जारी कर दिए मानक से कम लोड खबर में उन नामों व भवन का जिक्र किया गया था, जो अभियंताओं की मिलीभगत को उजागर करता है। अब अपनी गलतियों को छुपाने के लिए रेजीडेंसी में बैठे वरिष्ठ स्तर के अभियंता कागजात तैयार करने में लगे हैं कि जब कनेक्शन दिया गया था, उस वक्त परिसर एक मंजिला या दो मंजिला ही बना था। यही नहीं संबंधित उपभोक्ताओं को नोटिस भेजी जा रही है कि वह अपने बिजली कनेक्शन का लोड बढ़वाएं।

अगर बकाए पर कनेक्शन उसी परिसर में जारी किए गए हैं, तो यह गलत है। संबंधित अभियंताओं की जवाबदेही तय होगी। मामला सही मिलने पर कार्रवाई भी होगी।

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