नई दिल्ली, NOI :  लोकसभा के बाद राज्यसभा से पारित हुए दिल्ली नगर निगम संशोधन विधयेक 2022 आने वाले दिनों में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून की शक्ल ले लेगा। इसके बाद दिल्ली नगर निगम अस्तित्व में आ जाएगा। माना जा रहा है कि दो सप्ताह में यह सारी प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। जिसमें विशेष अधिकारी की नियुक्ति से लेकर निगमायुक्त तक की नियुक्ति की जानी है।

अब चूंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए बयान से स्पष्ट कर दिया है कि विशेष अधिकारी राजनीति से न होकर नौकरशाही से होगा। अब केंद्र के किसी वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति इस पर होने की चर्चा है। दरअसल, एक निगम के समय पर निगमायुक्त की नियुक्ति मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की होती थी। ऐसे में संभावना है कि नए निगमायुक्त को तीनों निगमों (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) को एक करने के बाद नया आयुक्त नियुक्त किया जाए। जब निगमायुक्त मुख्य सचिव स्तर का होगा तो उसके ऊपर काम करने वाले अधिकारी का रैंक उससे ऊंचा होना स्वाभाविक है।

ऐसे में मुख्य सचिव रैंक से वरिष्ठ अधिकारी को विशेष अधिकारी के तौर पर केंद्र सरकार से लगाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि राजधानी के तीनों नगर निगम का कार्यकाल फिलहाल 18 मई तक हैं। निगम के एक्ट में प्रविधान है कि जब तक निगम को भंग नहीं किया जाता या फिर वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर लेते हैं तब तक वह ऐसे ही कार्य करते रहेंगे। वर्तमान में चुने हुए पार्षदों में किसी एक को चुनाव के द्वारा महापौर और उप महापौर बनाया जाता है। जो कि सदन को संचालित करता है। सदन जो फैसले लेता है निगमायुक्त की जिम्मेदारी उन फैसलों को लागू करने की होती है। ऐसे में जब निगम का कार्यकाल सप्ताह हो जाएगा तो उसकी जगह विशेष अधिकारी ले लेगा। ऐसे में सदन के द्वारा जो फैसले लिए जाते तो उसको स्वीकृत करने का अधिकार विशेष अधिकारी के पास होता है।

नौकरशाह को लगाने का उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार

दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने के बाद बहुत सारे अधिकारियों की बतौर विभागाध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति की जानी है। हालांकि यह फैसला वरिष्ठता की सूची के आधार पर लिया जाता है, लेकिन कई जगह पर वरिष्ठता सूची को लेकर विवाद है। ऐसे मे विशेष अधिकारी के तौर पर नौकरशाह को लगाने के पीछे केंद्र निगमों की प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारना चाहता है। तीनों निगमों की आर्थिक स्थिति कैसे सुधारने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। साथ ही तीनों निगमों की अलग-अलग नीतियों में भी एकरूपता लानी होगी।

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