पटना सिटी NOI : रमजान के पहले शुक्रवार को राजधानी के सभी जामा मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा की गई। बड़ी संख्या में रोजेदार मस्जिद पहुंचे। उन्होंने नमाज पढ़ने के बाद प्रेम, भाईचारा, शांति एवं खुशहाली के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। मस्जिदों में मौलाना ने रमजान और रोजे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रमजान हर परिस्थिति में सब्र करने का सबक सिखाता है। रोजे की हालत में रोजेदार गरीबों की भूख प्यास का एहसास करता है। इस्लाम में गरीबों का हरसंभव ध्यान रखने और उसे उसका अधिकार देने के लिए हर व्यक्ति पर जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पटना की अलग-अलग मस्‍ज‍िदों में जुटे अकीदतमंद 

राजधानी स्थित स्टेशन की मस्जिद, हाईकोर्ट, कोतवाली, गांधी मैदान, दर्जी टोला, पटना सिटी, फुलवारीशरीफ, कुर्जी, राजा बाजार, पाटलिपुत्र कॉलोनी, कंकड़बाग कॉलोनी, राजेंद्र नगर कॉलोनी समेत अन्य इलाकों की जामा मस्जिद में जुमा की नमाज लोगों ने अदा की। बबुआगंज स्थित जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल वाहिद ने कहा कि दुनिया के इंसानो का मार्गदर्शन करने के लिए पवित्र आसमानी ग्रंथ कुरानशरीफ रमजान के महीने में ही धरती पर लोगों के बीच भेजा गया।

रमजान के पहले 10 दिन रहमत का अशरा 

अब्‍दुल वाहिद ने बताया कि पवित्र ग्रंथ में जन्म से लेकर मृत्यु तक का उल्लेख करते हुए आदर्श जीवन जीने का रास्ता अल्लाह ने बताया है। तकरीर में कहा गया कि रमजान का बीत रहा प्रथम दस दिन रहमत का अशरा कहलाता है। मुसलमान  अल्लाह की इबादत करते हैं ताकि अल्लाह की रहमत उन पर बरसती रहे।

  • रमजान के पहले जुमा की नमाज में उमड़े रोजेदार
  • राजधानी की सभी जामा मस्जिदों में पढ़ी गई जुमा की नमाज
  • प्रेम-भाईचारा और खुशहाली के लिए सब ने मांगी दुआ है
  • तकरीर में मौलाना बोले सब्र करने की शिक्षा देता है रमजान

कोरोना काल के दो साल के बाद उत्‍साह

पिछले दो साल में रमजान के दौरान कोरोना संक्रमण का साया रहा। 2020 में तो इस पवित्र महीने में मस्‍ज‍िदों में इबादत तक की इजाजत नहीं मिल सकी थी। इस बार कोरोना का खौफ कम हुआ है। रोजेदार अपेक्षाकृत अधिक सुविधा के साथ सामान्‍य दिनों की तरह इबादत कर पा रहे हैं। 

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