पानीपत में अजब गजब मामला, लोन लिए बिना ही हुए डिफाल्टर, सिबिल स्कोर भी खराब, अब देना होगा हर्जाना
उन्हें डिफाल्टर घोषित किया जा चुका है। पहले ऋण चुकाएं, इसके बाद शिक्षा के लिए ऋण दिया जाएगा। आजम खान ने कहा कि उन्होंने तो ऋण लिया ही नहीं। उनके नाम पर धोखा हुआ है। जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने कोर्ट में केस किया। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज अमित गर्ग की अदालत ने सिबिल को दोषी ठहराया है। इसके लिए एडवोकेट आजम को पंद्रह हजार रुपये का हर्जाना देना होगा।
हालांकि एडवोकेट आजम का कहना है कि उन्होंने बीस लाख का मुआवजा मांगा था। सिबिल के अलावा टाटा मोटर्स कंपनी भी दोषी है। वह अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मामला वर्ष 2014 का है। एडवोकेट आजम ने जागरण को बताया कि उन्होंने बेटे की इंजीनियिरंग की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन के लिए आवेदन किया था। उनके नाम पर किसी और के लोन लेने का पता चला।
उन्होंने सिबिल को ईमेल किया। इस गलती में सुधार करने के लिए कहा। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। तब उन्होंने स्थायी लोक अदालत में याचिका लगाई। सिबिल अधिकारियों ने गलती मानी और उनका स्कोर ठीक कर दिया। उन्होंने मुआवजे के लिए सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। यहां उनकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज अमित गर्ग की अदालत में याचिका लगाई। बीस लाख के मुआवजे की मांग की।
कोर्ट को बताया कि उनके नाम से प्रतापगढ़ निवासी किसी व्यक्ति को लोन दिया गया। उनका सिबिल खराब कर दिया। इस वजह से एक साल तक उन्हें लोन नहीं मिला। कंपनी ने गलती मानी। कोर्ट ने उन्हें 15 हजार रुपये हर्जाना देने के सिबिल को आदेश दिए हैं। पर वह ज्यादा मुआवजे के लिए अब हाई कोर्ट जाएंगे।
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