सक्सेस मंत्रा: जानें आइडिया पर भरोसा रखकर स्टार्टअप की राह पर कैसे बढ़ें आगे
प्लांट आधारित प्रोडक्ट्स का निर्माण
सौम्या बताती हैं कि मार्केट में मिलने वाले अधिकांश पर्सनल केयर व एफएमसीजी प्रोडक्ट्स में एनिमल फैट का प्रयोग किया जाता है। लेकिन चूंकि मैं खुद शाकाहारी हूं, इसलिए प्लांट बेस्ड प्रोडक्ट्स बनाने का फैसला लिया। ‘इकोक्रेडल’ के जरिये हम सस्टेनेबल एफएमसीजी, स्किन केयर प्रोडक्ट्स, फ्लोर क्लीनर, मास्क्यूटो रिपेलेंट, बैंबू ब्रशेज, डेंटल प्रोडक्ट्स, हर्बल नेचुरल कलर्स का निर्माण करते हैं। इनमें किसी प्रकार के रसायन का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके अलावा, पैकेजिंग भी सस्टेनेबल तरीके से होती है। प्लास्टिक का बिल्कुल प्रयोग नहीं किया जाता है। ग्राहक इनके वेबसाइट या फिर विभिन्न ईकामर्स प्लेटफार्म के माध्यम से प्रोडक्ट्स को प्राप्त कर सकते हैं। आने वाले समय में वह कारपोरेट गिफ्टिंग सुविधा भी शुरू करने की योजना पर काम कर रही हैं। इस समय छोटी-सी टीम एवं इंटर्न्स की मदद से काम कर रही हैं। फिलहाल खुद की पूंजी से ही बिजनेस चल रहा है। कहती हैं सौम्या, ‘हम एक उद्देश्य के साथ बिजनेस करना चाहते हैं। एक मूल्य आधारित व्यवस्था कायम करना चाहते हैं। वित्तीय चुनौतियां हैं, कारोबार में उतार-चढ़ाव भी आते हैं। लेकिन उसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। क्योंकि हम नैतिकता को ताक पर रखकर आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं। हां, जरूरत पड़ी, तो मेंटर्स की मदद जरूर लेंगे।‘
‘अनंतमंडी’ अभियान से जैविक उत्पाद को बढ़ावा
सौम्या को हमेशा से सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम करना पसंद रहा है। इसलिए इन्होंने साथी पियुली घोष एवं अन्य वालंटियर्स के सहयोग से ‘अनंत मंडी’ नाम से एक अभियान चलाना शुरू किया। वह बताती हैं, ‘हमने महसूस किया कि शहर में लोग आर्गेनिक फूड खाना तो चाहते हैं, लेकिन मार्केट में उसकी सीमित उपलब्धता के कारण वे पेस्टिसाइड युक्त सब्जियां एवं अन्य खाद्य पदार्थ खाने पर विवश होते हैं। कई बार आर्गेनिक फूड की कीमतें इतनी अधिक होती हैं कि आम आदमी उन्हें खरीद नहीं पाता है। ऐसे में जैविक किसान बाजार के आयोजन के जरिये हमारी कोशिश रहती है कि लोगों तक आसानी से न सिर्फ जैविक उत्पाद पहुंचाए जा सकें, बल्कि उनकी खरीद एवं प्रयोग को बढ़ावा भी दिया जा सके।‘ अनंतमंडी से जैविक खेती करने वाले किसानों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। अब तक 50 से अधिक जैविक किसान/उत्पादक इस मंडी से लाभ उठा चुके हैं।
रखना होता है धैर्य
कारपोरेट नौकरी छोड़कर बिजनेस करने का जोखिम उठाना आसान नहीं होता है। सौम्या के सामने भी इस प्रकार की सामाजिक चुनौतियां आईं। सवाल उठे कि क्यों सुरक्षित नौकरी को छोड़ जोखिम उठाना? लेकिन परिवार का सपोर्ट मिलने के कारण वह आगे बढ़ती गईं। कहती हैं, ‘मुझे अपने निर्णय पर भरोसा था। हां, शुरू में कस्टमर्स का प्रोडक्ट पर विश्वास पैदा करना आसान नहीं होता है। लेकिन एक बार प्रयोग करने के बाद वह दोबारा उसे लेने के लिए आते हैं। इसलिए थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है। दरअसल, हम कोई भी काम करते हैं, तो उसमें नेटवर्क की अहम भूमिका होती है। मैं काफी यात्राएं करती हूं। उससे अलग-अलग लोगों से मिलना होता है। धीरे-धीरे एक नेटवर्क बन जाता है।‘
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