चंडीगढ़ NOI :  बिल्डिंग मिसयूज और वायलेशन की पेनल्टी के नए रेट प्रस्तावित करने के बाद से ही शहरवासी खासे नाराज हैं। व्यापारी, उद्योगपति और प्रापर्टी ऑनर इसके लिए प्रशासन पर एकजुट होकर हमलावर हैं। अब उद्योग व्यापार मंडल ने प्रशासन को इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने के लिए कहा है। उन्होंने इस आगामी रणनीति का खुलासा करने के लिए आज एक प्रेस वार्ता भी बुलाई है। इस प्रेस वार्ता में उद्योग व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट कैलाश चंद जैन अपनी इस रणनीति का खुलासा करेंगे।

इससे पहले कई संगठनों ने मिलकर एक सांझे कार्यक्रम में इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए ज्वाइंट कमेटी गठन करने का निर्णय लिया था। ज्वाइंट एक्शन कमेटी भी इसके लिए विरोध का प्लान बना रही है। वहीं इंडस्ट्रियलिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज ने तो अपना फीडबैक भी प्रशासन को भेज दिया है। इस फीडबैक में चैंबर ने अपना विरोध प्रशासन के सामने जताया है। इंडस्ट्रियलिस्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस तरह के प्रस्ताव को लागू करने से पहले बिल्डिंग और इंडस्ट्री प्लॉट में जरूरत अनुसार किए गए बदलाव को मंजूरी दी जानी चाहिए। इसके बाद जो मिसयूज और वायलेशन बचती है उसे ठीक करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। यह करने के बाद ही प्रशासन को रिवाइज्ड एक्ट को लागू करना चाहिए।

दूसरे राज्यों ने दी राहत, चंडीगढ़ ने बढ़ाई मुश्किल

चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट नवीन मंगलानी ने बताया कि प्रशासन को प्रधानमंत्री के स्लोगन ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का अनुसरण करना चाहिए। एमएसएमई टैक्स पेयर्स के लिए मुश्किल पैदा करना ठीक नहीं है। पीएम मोदी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देते हुए हर बाधा को दूर करने में जुटे हैं। अधिकारियों को भी ऐसे निर्देश रहते हैं। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन उनके विजन के उल्ट काम कर रहा है। नवीन मंगलानी ने कहा कि 50 साल में कभी जरूरत अनुसार बदलावों को कभी मंजूरी नहीं दी गई। जबकि पड़ोसी राज्य इस पर समय के साथ सहूलियत देते रहे हैं। उनका रुख लचीला रहा है। यूटी प्रशासन को पहले नीड बेस्ड चेंज को मंजूरी देनी चाहिए। इस पर इंडस्ट्रीयलिस्ट के साथ बात करनी चाहिए। इसके बाद मिसयूज और वायलेशन को परिभाषित करना चाहिए।

प्रस्ताव पर यह भेजा सुझाव

  • पंजाब कैपिटल एक्ट-1952 में कोई भी बदलाव प्रोस्पेक्टिव अलॉटमेंट के आधार पर होना चाहिए। सभी पुरानी अलॉटमेंट ओरिजिनल एक्ट और सेल एग्रीमेंट में कवर होनी चाहिए।
  • प्रशासन का 400 गुणा पेनल्टी बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है। इसका बेस वार्षिक नौ फीसद कंपाउंडिंग बनता है। जबकि पब्लिक नोटिस में प्रशासन ने इसे सालाना पांच फीसद बढ़ाना प्रस्ताविक किया है। एकदम इतना बढ़ाने का कोई मतलब नहीं बनता।
  • पब्लिक नोटिस पर सुझाव देने के लिए केवल दस दिन का समय दिया। इसमें पांच दिन सरकारी अवकाश है। यह समय कम से कम 30 दिन होना चाहिए था। सुझाव देने के लिए ई-मेल तक नहीं दिया। फीजिकली सुझाव मांगे गए। यह दर्शाता है कि प्रशासन नहीं चाहता की पब्लिक कोई सुझाव दे।
  • प्रशासन अनुसार अधिकतम जुर्माने को प्रापर्टी की वर्तमान कीमत के 20 फीसद तक रखा जाएगा। इसे कलेक्टर रेट से लिंक किया गया है। यह स्वीकार योग्य नहीं है।

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