चंडीगढ़ प्रशासन से शहर के इंडस्ट्रियलिस्ट नाराज, अब मोर्चा खोलने की तैयारी, आज करेंगे रणनीति का खुलासा
दूसरे राज्यों ने दी राहत, चंडीगढ़ ने बढ़ाई मुश्किल
चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट नवीन मंगलानी ने बताया कि प्रशासन को प्रधानमंत्री के स्लोगन ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का अनुसरण करना चाहिए। एमएसएमई टैक्स पेयर्स के लिए मुश्किल पैदा करना ठीक नहीं है। पीएम मोदी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देते हुए हर बाधा को दूर करने में जुटे हैं। अधिकारियों को भी ऐसे निर्देश रहते हैं। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन उनके विजन के उल्ट काम कर रहा है। नवीन मंगलानी ने कहा कि 50 साल में कभी जरूरत अनुसार बदलावों को कभी मंजूरी नहीं दी गई। जबकि पड़ोसी राज्य इस पर समय के साथ सहूलियत देते रहे हैं। उनका रुख लचीला रहा है। यूटी प्रशासन को पहले नीड बेस्ड चेंज को मंजूरी देनी चाहिए। इस पर इंडस्ट्रीयलिस्ट के साथ बात करनी चाहिए। इसके बाद मिसयूज और वायलेशन को परिभाषित करना चाहिए।
प्रस्ताव पर यह भेजा सुझाव
- पंजाब कैपिटल एक्ट-1952 में कोई भी बदलाव प्रोस्पेक्टिव अलॉटमेंट के आधार पर होना चाहिए। सभी पुरानी अलॉटमेंट ओरिजिनल एक्ट और सेल एग्रीमेंट में कवर होनी चाहिए।
- प्रशासन का 400 गुणा पेनल्टी बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है। इसका बेस वार्षिक नौ फीसद कंपाउंडिंग बनता है। जबकि पब्लिक नोटिस में प्रशासन ने इसे सालाना पांच फीसद बढ़ाना प्रस्ताविक किया है। एकदम इतना बढ़ाने का कोई मतलब नहीं बनता।
- पब्लिक नोटिस पर सुझाव देने के लिए केवल दस दिन का समय दिया। इसमें पांच दिन सरकारी अवकाश है। यह समय कम से कम 30 दिन होना चाहिए था। सुझाव देने के लिए ई-मेल तक नहीं दिया। फीजिकली सुझाव मांगे गए। यह दर्शाता है कि प्रशासन नहीं चाहता की पब्लिक कोई सुझाव दे।
- प्रशासन अनुसार अधिकतम जुर्माने को प्रापर्टी की वर्तमान कीमत के 20 फीसद तक रखा जाएगा। इसे कलेक्टर रेट से लिंक किया गया है। यह स्वीकार योग्य नहीं है।
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