उदयपुर, NOI :  राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरएसएस को लेकर दिए बयान पर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार किया है। कटारिया ने कहा कि आरएसएस को लेकर अशोक गहलोत अकेले की पीड़ा नहीं, बल्कि कांग्रेस की तीन पीढ़ियों से पीड़ा चली आ रही है। इसी का परिणाम है कि कांग्रेस आज सिमट कर रह गई है। गुलाबचंद कटारिया ने शनिवार को कहा कि अशोक गहलोत ने वर्षों की मन की पीड़ा को शब्दों में जाहिर किया था। संघ उनकी और मेरी पैदाइश से पहले का है। संघ ने उस समय न तो राज करने की कल्पना थी और न राज करने की सोची थी। जो भी बात अशोक गहलोत संघ को लेकर बोले, वही भाषा कांग्रेस की तीन पीढ़ियां बोलती आ रही हैं। वह बोलते-बोलते थक गए, किन्तु संघ हमेशा आगे बढ़ता रहा। संघ राष्ट्र और व्यक्ति निर्माण के लिए काम करता है।

थोड़ा संघ के बारे में पढ़ लेते

कटारिया मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत को संघ के बारे में थोड़ा पढ़ना लिखना चाहिए थे। यदि ऐसा होता तो वह सच्चाई को जानते। पहले वह अपनी बुद्धि को ठीक करें और फिर संघ को लेकर टिप्पणी करें। कटारिया ने कहा कि जिस तरह की भाषा वह बोल रहे हैं, उससे बची-कुची कांग्रेस का अंत हो जाएगा। इन्हीं की सोच और भाषा के चलते अच्छी भली पार्टी अब सिमट कर रह गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि वह अपनी भाषा में सुधार करें। फिर से राज करने की लालसा में हल्के शब्दों से बचें।

संघ के नाम पर गहलोत को चर्चा की चुनौती

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने गहलोत संघ के बारे में चर्चा करने के लिए उन्हें चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरदार पटेल की सोच के अनुसार देश चल रहा होता तो हिंदुस्तान आज के मुकाबले कई गुना आगे होता। वह संघ और भाजपा की चिंता नहीं करें, बल्कि अपनी पार्टी की सुरक्षा को लेकर सोचें, जो सिमटती जा रही है। इनके खुद के नेता आज उनकी पार्टी में टिकना नहीं चाहते। कार्यकर्ता भी उनकी पार्टी से परेशान है। ऊपर से उनकी अमर्यादित भाषा, जो इसका अस्तित्व खत्म करने में मदद कर रही है।

जानें, क्या कहा था अशोक गहलोत ने

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को उदयपुर आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डबोक एयरपोर्ट पर मीडिया से हुई चर्चा में कहा था कि आरएसएस पीठ पीछे भाजपा की मदद करती है। यह देश की जनता बखूबी जानती है। जब सब कुछ साफ है तो वह सीधे राजनीति में उतर जाए और भाजपा को अपने में मर्ज कर ले। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब संघ के नेताओं ने लिखकर दिया था कि वह कभी राजनीति में हिस्सा नहीं लेंगे और केवल सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य करेंगे। जबकि अपने वादे के विपरीत राजनीति और धर्मांध के अलावा कोई काम नहीं करते।

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