नेशनल में जिस खिलाड़ी ने दी थी मात, खेलो इंडिया में करनाल के बाक्सर ने हराकर जीता सिल्वर
करनाल, NOI : सपने सभी देखते हैं और इन्हें हकीकत में सफल करने के लिए पसीना बहाना पड़ता है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए कईओं को पछाड़ना पड़ता है जोकि आसान नहीं है। यह तभी संभव होता है जब आप खुद इसके लिए तैयार हों। क्योंकि प्रत्येक माता-पिता काे अपने बेटी-बेटे को सफल देखने की इच्छा होती है। यह विचार हरियाणा चैंपियन बाक्सर सागर चौधरी के हैं।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी मुकाबलों में सिल्वर जीतने के बाद खुशी के पलों में वह अपने माता-पिता और दोस्त की सराहना किए बिना नहीं रह सके। कर्ण स्टेडियम में अभ्यास कर 23 वर्षीय सागर अपने जीत के सफर को जारी रखते हुए भारत के लिए ओलिंपियन में गोल्ड जीतना चाहते हैं। बाक्सर की जीत की खुशी में खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के प्रशिक्षक सुरेंद्र चौहान ने बेहतर खेल के लिए प्रेरित किया है।
नेशनल में जिस खिलाड़ी से हारा खेलो इंडिया में उसे मात दी
बेंगलुरु स्थित जैन ग्लोबल यूनिवर्सिटी में 23 से 28 अप्रैल तक आयाेजित मुकाबलों के दौरान भारत के बाक्सरों ने हिस्सा लिया। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्रशिक्षक राजेश के नेतृत्व में हरियाणा के खिलाड़ियों ने इन मुकाबलों में हिस्सा लिया, जिसमें सागर चौधरी ने 67 किलोग्राम भारवर्ग के वजन में सिल्वर मेडल हासिल किया। सागर चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष नेशनल मुकाबले में प्रतिवंदी खिलाड़ी से मात खाई थी, जिसकी कमी अब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी जीत दर्ज करके पूरी की है।
पहली बार मिली हार के बाद जीत का जज्बा
सागर बताते हैं कि 12 वर्ष की उम्र में कर्ण स्टेडियम प्रशिक्षक सुरेंद्र चौहान के नेतृत्व में बाक्सिंग शुरू की थी। वर्ष-2012 में करियर की शुरुआत के पहले जिला स्तरीय मुकाबले में हार हासिल हुई। हार से मायूस होने पर पुलिस विभाग में एएसआई तैनात पिता बहादुर सिंह ने मजबूती दी। साथ ही बाक्सर दोस्त अमित मलिक ने मोटीवेट किया। सागर के अनुसार प्रशिक्षण में पसीना बहाते हुए खुद को तराशा और हरियाणा चैंपियन बनकर दिखाया। इसी के साथ राष्ट्रीय स्तर के कई मुकाबलों में करनाल का नाम रोशन किया है।
ओलिंपियन में गोल्ड जीतने का सपना
सागर चौधरी के पिता बहादुर सिंह पुलिस विभाग में एएसआई हैं और माता सतकौर गृहणी हैं। बहन शिवानी अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई कर चुकी हैं और भविष्य में शिक्षक बनना चाहती है। सागर बताते हैं कि करियर में कामयाबी के लिए अनेकों बार कठिन पल आए लेकिन परिवार और प्रशिक्षकों ने प्रोत्साहित किया। इसी सहयोग के साथ ही प्रोफेशनल बाक्सिंग में चार-जीरो का रिकार्ड बनाकर भारत के पहले बाक्सर श्रेणी में नाम दर्ज करवाया है। बाक्सर बिजेंद्र और सुमित सांगवान को वह अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं।
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