मेरठ, NOI :  साठा तब पाठा। यह कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो इस कहावत को सही मायने में जीते भी हैं। इनमें से ही एक हैं कर्नल विनोद कुमार उज्ज्वल। भारतीय सेना में लंबी सेवा के दौरान कारगिल युद्ध में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए तो विभिन्न ऑपरेशनों में भी आतंकियों पर गोले दागे। सेना से निकलकर आगे बढ़े तो वह खेल के मैदान में पहुंच गए। यहां भी उन्होंने पद को पर अचूक निशाना साधना शुरू कर दिया है। दिल्ली के त्याग राज स्टेडियम में 30 अप्रैल से 3 मई तक आयोजित खेलो इंडिया राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कर्नल बिनोद ने भाला फेंक में रजत पदक और गोला फेंक में कांस्य पदक जीता है।

फौजी प्रशिक्षण और खेल के जुनून ने पहुंचाया खेल मैदान में

मेरठ में कंकरखेड़ा क्षेत्र में डिफेंस एनक्लेव में रहने वाले 62 वर्षीय कर्नल विनोद कुमार जनवरी 2015 में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद उन्होंने सबसे पहले गोल्फ खेलना शुरू किया और पिछले एक साल से एथलेटिक्स के खेलों में हिस्सा ले रहे हैं। वह ज्यादातर थ्रो इवेंट्स में हिस्सा लेते हैं। इनमें जैवलिन थ्रो, डिस्कस थ्रो और शॉट पुट तीनों ही शामिल है। कर्नल बिंनोद ने पहली बार खेलो इंडिया मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पिछले साल वाराणसी में हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता में उन्होंने गोला फेंक में 11.29 मीटर की दूरी नाप कर कांस्य पदक जीता था। यहीं से उनका मनोबल और बढ़ा तो उन्होंने एथलेटिक के थ्रो इवेंट्स का प्रशिक्षण व अभ्यास जारी रखा। इस साल जब खेलो इंडिया मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए उन्हें आमंत्रण मिला तो उन्होंने इस बार भी तीनों ही इवेंट में 60 से अधिक आयु वर्ग में हिस्सा लिया। भाला फेंक में 29.96 मीटर की दूरी नाप कर रजत पदक जीता। वही शॉट शॉट पुट में 10.44 मीटर की दूरी नाप कर कांस्य पदक अपने नाम किया। डिस्कस थ्रो में पदक तालिका में नहीं शामिल हो सके लेकिन वह अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं।

कारगिल सहित किए कई मैदान फतेह

कर्नल बिनोद कुमार उज्ज्वल अक्टूबर 1979 में सेना में भर्ती हुए। जून 1987 में कमीशन ऑफिसर के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर, राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मैदानी क्षेत्रों में सेवाएं दी हैं। ऑपरेशन पराक्रम, कारगिल युद्ध के ऑपरेशन विजय और अन्य आतंक रोधी ऑपरेशनों में भी प्रमुखता से हिस्सा लिया है। रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी यानी तोपखाना में सेवाएं देने के साथ ही कर्नल बिनोद पश्चिम बंगाल और मेरठ में एनसीसी बटालियन के कमान अधिकारी भी रहे। अन्य सेवाओं में वह गोल्फ सचिव, सीएसडी मैनेजर और ईसीएचएस पॉलिटेक्निक के प्रभारी के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं।

फौज से जुड़ा है परिवार का पुराना नाता

कर्नल बिनोद के अनुसार उनके पिताजी तीन भाई थे और अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही सेना में सेवाएं दी हैं। सबसे बड़े ताऊजी श्रीराम उज्ज्वल ब्रिटिश काल में सेवारत रहे। कर्नल विनोद ने उन्हें कभी नहीं देखा। दूसरे ताऊजी रामचंद्र उज्ज्वल राजपूताना राइफल्स में सेवारत रहे। वहीं कर्नल बिनोद के पिता और भाइयों में सबसे छोटे राम सिंह उज्जवल ईएमई कोर में सेवारत थे। इन सभी ने दूसरे विश्व युद्ध में देश विदेश में अंग्रेजी सेना की ओर से लड़ाइयां लड़ी थी। अब तीनों ही इस दुनिया में नहीं है लेकिन कर्नल बिनोद उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

खेलेगा इंडिया तभी तो स्वस्थ रहेगा इंडिया

कर्नल विनोद कुमार उज्ज्वल बताते हैं कि उन्हें खेलेगा इंडिया तभी तो स्वस्थ रहेगा इंडिया, की मुहिम बेहद पसंद है। उसी तर्ज पर वह भी समाज में हर आयु वर्ग के लोगों को खेलने और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करते हैं। कर्नल बिनोद 1977 में कॉलेज टीम में क्रिकेट और वॉलीबॉल के कैप्टन रहे थे। सेना में भी वह विभिन्न खेल गतिविधियों में सक्रिय रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने खेल के मैदान पर वापसी की और खेलकर स्वस्थ रहने का संदेश देने में जुट गए। कर्नल बिनोद को नॉर्दर्न आर्मी कमांडर कमेंडेशन कार्ड से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा लद्दाख स्काउट्स के साथ उत्तरी क्षेत्र में सेवा के दौरान वीरता के लिए आर्मी कमांडर्स कमेंडेशन कार्ड से भी नवाजा जा चुका है।

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