ओमिक्रोन से कितना संक्रामक और घातक है एक्सई वैरिएंट, कानपुर के प्रोफेसर के मंथन से निकलीं खास बातें
इंडियन सार्स कोरोना वायरस-2 कंसोर्सियम आफ जिनोमिक (इंसाकाग) की 25 अप्रैल को रिपोर्ट जारी होने के बाद एसोसिएशन आफ इंडियन माइक्रो बायोलाजी के सदस्य आनलाइन प्लेटफार्म पर नए वैरिएंट को लेकर मंथन कर रहे हैं, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रो बायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा भी उसके सदस्य हैं।
ओमिक्रोन के पांच सब वैरिएंट : प्रो. विकास मिश्रा के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना के ओमिक्रान वायरस के म्यूटेशन के बाद सब वैरिएंट बीए-वन, बीए-टू, बीए-थ्री, बीए-फोर और बीए-फाइव के केस रिपोर्ट हुए हैं। हालांकि भारत में ओमिक्रोन वायरस के बीए-वन, बीए-टू और बीए-थ्री सब वैरिएंट ही रिपोर्ट हुए। ओमिक्रोन वायरस के बीए-वन एवं बीए-टू सब वैरिएंट से मिलकर एक्सई वैरिएंट बना है, जो ओमिक्रोन से दस गुणा अधिक घातक है। एक्सई सब वैरिएंट का पहला केस 16 जनवरी 2022 को ब्रिटेन में रिपोर्ट हुआ था, जो यूरोप और दक्षिण पूर्व अमेरिका के 16 देशों में फैल चुका है। विदेश में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के बीए-फोर एवं बीए-फाइव सब वैरिएंट के केस बढ़ने लगे हैं। ब्रिटेन और फ्रांस में लगातार केस रिपोर्ट होने पर वजह जानने को रिसर्च शुरू है।
16 प्रदेशों में बढ़ रहे केस : इंसाकाग की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 16 प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि 19 राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या घटने लगी है। जिन राज्यों में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, वहां जीनोम सिक्वेंसिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं।
मेडिकल कालेज से भी भेजे गए सैंपल : जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि भीषण गर्मी में युवाओं में सूखी खांसी, जुकाम और गले में खराश के मामले बढ़ने पर सरकार ने जीनोम सिक्वेंसिंग कराने के निर्देश हैं। मेडिकल कालेज की कोविड लैब में जिन संक्रमितों की सीटी वैल्यू 20-30 के बीच मिली है, उनके 25 सैंपल अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी भेजे गए हैं। उनकी रिपोर्ट का इंतजार है।
विदेश में कोरोना के दो नए सब वैरिएंट बढ़ने लगे हैं। हालांकि अपने यहां एक्सई वैरिएंट के अभी तक तीन केस रिपोर्ट हुए हैं, जिसमें गंभीर लक्षण नहीं मिले हैं। उत्तर प्रदेश समेत 16 राज्यों में केस बढ़ रहे हैं, इसलिए यहां के प्रमुख संस्थानों की कोविड लैब से जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नोडल लैब में सैंपल मंगाए जा रहे हैं, जिससे वायरस की प्रकृति का पता लगाया जा सके। - डा. विकास मिश्रा, प्रोफेसर, माइक्रोबायोलाजी विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।
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