चंडीगढ़ः CBI में लंबित पड़े ऐसे केस जिनमें अभी तक नहीं हुआ फैसला, कई मामलों में अभी भी चल रही है सुनवाई
जज निर्मल यादव के नाम ली गई थी 15 लाख रुपये की रिश्वत
सीबीआई की स्पेशल अदालत में सबसे पुराने केस में से एक है, जस्टिस निर्मल यादव से जुड़ा मामला। यह मामला साल 2008 में सामने आया था जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज निर्मल यादव का नाम इस मामले में आया था। जज नोट कांड के आरोप के मुताबिक, पंचकूला के एक प्लॉट के केस में एकतरफा फैसला देने के लिए 15 लाख रुपये की रिश्वत हाईकोर्ट की जज निर्मल यादव के नाम ली गई थी। नाम की गलती के चलते संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम यह रकम न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की कोठी पर ले गया था। सीबीआई ने 16 अगस्त 2008 को जस्टिस निर्मल यादव समेत पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल, बिल्डर राजीव गुप्ता, दिल्ली के होटेलियर रविंदर सिंह भसीन और निर्मल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। आरोप तय होने के बाद रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव ने बीमारी का हवाला देते हुए पेशी से स्थायी छूट की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कहा था कि जब भी उनकी जरूरत होगी, अदालत में आना होगा।
10 लाख की रिश्वत का मामला, अभी भी जारी है बहस
वर्ष 2012 में धोखाधड़ी के मामले में आरोपी को जमानत दिलवाने के लिए उस समय अपराध शाखा में तैनात जांच अधिकारी नवीन शर्मा पर 10 लाख की रिश्वत लेने का मामला दर्ज हुआ। सीबीआई ने बिचौलिए एसएन अनेजा के माध्यम नवीन को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। मामला 2013 से जिला अदालत में चल रहा है। मामले में अब तक 200 से अधिक सुनवाई हो चुकी है। मामले में आरोपी अनेजा लगभग 3 माह से याचिका लगाकर अदालत से समय मांगता रहा है। 11 अप्रैल की सुनवाई में अनेजा ने बहस करना शुरू किया है। इस मामले में अभी भी बहस जारी है।
पीजीआई एमएस/एमडी प्रवेश परीक्षा घोटाला
वर्ष 2012 में आयोजित हुई एमएस/एमडी प्रवेश परीक्षा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से नकल करवाने के मामले में सीबीआई ने पूरे रैकेट को पकड़ा था। मामले के अधिकतर आरोपी आंध्र प्रदेश के रहने वाले है। सीबीआई ने आरोपियों को पटना, हैदराबाद और चंडीगढ़ के होटल में बैठकर उपकरणों की सहायता से नकल कराते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। मामले में लगभग 10 साल से सुनवाई चल रही है। 8 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान 32 आरोपियों में से 27 को चार्ज फ्रेम किया गया है। बाकी के आरोपियों को अदालत ने भगोड़ा करार दे दिया है। अब इस मामले में ट्रायल शुरू होगा। सीबीआई ने इस मामले में कुल 175 गवाह बनाए हैं ।
सिप्पी सिद्धू हत्याकांडः CBI के हत्थे नहीं चढ़ा आरोपित
20 सितंबर 2015 की रात पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील और नेशनल शूटर सुखमनप्रीत सिद्धू का शव सेक्टर-27 स्थित पार्क के पास मिला था। पुलिस ने मृतक को 4 गोलियां मारे जाने की पुष्टि की थी। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। पुलिस के हाथ कुछ न लगने पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। 2016 से मामला जिला अदालत में चल रहा है। बता दें कि, इतना समय बीत जाने पर भी आरोपित सीबीआई के हाथ नहीं आया है। मामला अभी भी अज्ञात के खिलाफ चल रहा है ।
राजेश शुक्ला रिश्वत मामलाः अब तक 101 बार हो चुकी है सुनवाई
मामले की शिकायत सितंबर 2014 में दी गई थी। ठेकेदार ललित जोशी ने सीबीआई को शिकायत दी थी कि आरोपी निरीक्षक राजेश शुक्ला, हेड कांस्टेबल मुकेश कुमार और दिलबाग सिंह उसे तंग न करने के एवज में मासिक 5 हजार की रिश्वत की मांग करते थे। सीबीआई ने जाल बिछाकर उन्हें गिरफ्तार किया था। जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया था। 4 साल के बाद 2018 में मामले का ट्रायल शुरू हुआ था। इस मामले अब तक 101 सुनवाई हो चुकी है। इस दौरान मामले के मुख्य आरोपी निरीक्षक राजेश शुक्ला की मृत्यु भी हो चुकी है। हालांकि मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र जिला अदालत में पेश करना बाकी है।
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