कानपुर, NOI :- राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के वैज्ञानिक अब लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर मक्के की विभिन्न प्रजातियों से एथेनाल बनाने की तकनीक विकसित करेंगे। गुरुवार को दोनों संस्थानों के बीच सहमति के बाद विभिन्न तकनीक पर वार्ता भी हुई। यह परियोजना केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से स्वीकृत की गई है और यही संस्थान जरूरी बजट उपलब्ध कराएगा।

एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने बताया कि भारत सरकार एथेनाल उत्पादन के लिए चीनी मिलों से प्राप्त शीरे और अन्य स्टाक के अलावा चावल और मक्के से भी एथेनाल इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह इकाइयां विभिन्न राज्यों में स्थापित की जाएंगी। उन राज्यों में जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी है कि मक्के की ऐसी प्रजातियां विकसित की जाएं, जिनसे पैदावार ज्यादा हो और अधिक एथेनाल का उत्पादन किया जा सके। यह किसानों और एथेनाल उत्पादन इकाइयों के लिए लाभदायक होगा।

नई परियोजना के तहत भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के अनुसार विभिन्न कृषि क्षेत्रों के लिए मक्के की विभिन्न प्रजातियां विकसित करेंगे। इन प्रजातियों से एथेनाल बनाने की प्रक्रिया, प्रति टन एथेनाल की मात्रा व लागत मूल्य का आकलन राष्ट्रीय शर्करा संस्थान करेगा। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. सुजय रक्षित ने बताया कि देश में मक्के की लगभग 450 हाइब्रिड प्रजातियां हैं, जिनकी स्क्रीनिंग करके 10 से 15 हाइब्रिड का चयन एथेनाल उत्पादन के लिए किया जाएगा।

वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनाल ब्लेंडिंग का लक्ष्य 20 फीसद

निदेशक ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनाल की ब्लेंडिंग (मिलावट) का लक्ष्य 20 प्रतिशत तय किया गया है। इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनाज आधारित एथेनाल उत्पादन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। प्रारंभिक आकलन के के मुताबिक लगभग 45 प्रतिशत एथेनाल अनाजों से प्राप्त करने पर ही लक्ष्य पूरा हो सकेगा।


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