अमेरिका की संस्था देगी बजट और आइआइटी कानपुर लगाएगा डिवाइस, पहली बार गांवों की हवा भी परखेंगे विज्ञानी
कानपुर, NOI :- उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल शहरों में वायु प्रदूषण का आकलन कर रहा है और इसकी रिपोर्ट सरकार और संबंधित जिला प्रशासन को देकर प्रदूषण दूर कराने की कवायद करता है। पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों की आबोहवा को परखा जाएगा। वहां के लोगों की सांस में कौन से रसायनिक तत्व मिल रहे हैं, इसका पता लगाया जाएगा और सुधार के लिए विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। इसकी जिम्मेदारी भी आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों को दी जा रही है। पहले चरण में यूपी और बिहार के करीब 1400 ब्लाक में यह कार्यक्रम चलेगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए एडवांस मानीटरिंग टेक्नोलाजी सेंटर स्थापित करेगी। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की ओर से इसी संबंध में प्रस्ताव मांगे गए थे। आइआइटी की ओर से भी रूरल एयर मानीटरिंग (ग्रामीण वायु निगरानी) के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है। प्रो. त्रिपाठी के मुताबिक कई संस्थाएं सरकार के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में खुला परोपकार (ओपन फिलांथ्रापी) कार्यक्रम के तहत कार्य कर रही हैं।
इस प्रोजेक्ट के लिए इनमें से ही एक संस्था वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी। वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद ब्लाकों व ग्रामीण इलाकों में वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए बाकायदा एक नेटवर्क विकसित किया जाएगा। संस्थान की ओर से वास्तविक समय में हवा की निगरानी व जांच के लिए तैयार की गई डायनैमिक हाइपर अपोर्शनमेंट यूनिट को भी स्थापित किया जाएगा। इससे हवा में मौजूद विभिन्न तत्वों की मात्रा के साथ ही उसके स्रोत का भी पता लग सकेगा।
यह काम करेंगे : डा. त्रिपाठी ने बताया कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों से ज्यादा जनसंख्या है, लेकिन अब तक इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की जांच के लिए कुछ नहीं हुआ। तमाम गांवों में आज भी चूल्हे पर खाना बनता है। किसान बड़े पैमाने पर कोयला, लकड़ी और फसलों के अवशेष भी जलाते हैं। शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाली हवा भी प्रभाव डालती है।
यह हवा किस हद तक ग्रामीणों के जनजीवन व स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, इसका आकलन किया जाना बेहद जरूरी है। इसी वजह से अब ब्लाकों में हवा में मौजूद तत्वों की निगरानी की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि हवा में मौजूद विभिन्न तत्वों से जनमानस पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। यह भी देखा जाएगा कि शहरों की तुलना में प्रदूषण कम है या ज्यादा।
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